किराना दुकानों का भविष्य अनिश्चित: क्विक कॉमर्स कंपनियों के कारण बढ़ रही है प्रतिस्पर्धा

देश में क्विक कॉमर्स कंपनियां देश में खरीदारी के अनुभव को तेजी से बदल रही हैं। पिछले साल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी किराना ऑर्डर में से दो-तिहाई से ज्यादा और ‘ई-रिटेल’ खर्च का दसवां हिस्सा क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर हुआ। फ्लिपकॉर्ट और बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक फटाफट सामान पहुंचाने वाली इन क्विक कॉमर्स कंपनियों में सालाना 40 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसकी बढ़ोतरी को अलग-अलग कैटेगरी और कस्टमर सेगमेंट में विस्तार से गति मिलेगी। हालांकि, इससे ये भी साफ है कि देश में किराना दुकानदारों के भविष्य पर भी तेजी से संकट बढ़ता जा रहा है।
देश में क्यों तेजी से बढ़ रहा क्विक कॉमर्स मार्केट
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘फटाफट सामान पहुंचाने (30 मिनट से कम समय में डिलिवरी) की सुविधा शुरू होना पिछले दो सालों में देश के ई-रिटेल मार्केट की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक रहा है।’’ देश की क्विक कॉमर्स कंपनियां ग्लोबल ट्रेंड को पीछे छोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन कंपनियों में तेज ग्रोथ का मुख्य कारण उच्च जनसंख्या घनत्व और कम किराये वाले ‘डार्क स्टोर’ यानी पूरी तरह से ऑनलाइन ऑर्डर को पूरा करने वाले खुदरा दुकानों के नेटवर्क तक करीबी पहुंच शामिल हैं। इस क्षेत्र ने कई कंपनियों को आकर्षित किया है, जिसने उपभोक्ता मूल्य प्रस्ताव को समृद्ध किया है। वैसे फटाफट सामान पहुंचाने की सुविधा की शुरुआत किराने के सामान से हुई थी। लेकिन अब इसके सकल वस्तु मूल्य या जीएमवी का 15 से 20 प्रतिशत सामान्य वस्तुएं, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान जैसी कैटेगरी से आता है।
छोटे शहरों में भी पकड़ मजबूत कर रही हैं कंपनियां
दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों में हो रहे विस्तार ने भी क्विक कॉमर्स कंपनियों की ग्रोथ को रफ्तार दी है। हालांकि, अब भी जीएमवी का बड़ा हिस्सा टॉप 6 शहरों से आता है। भारत में 2025 में ऑनलाइन खरीदारी पर रिपोर्ट में कहा गया है कि देश पिछले एक दशक में रिटेल सेक्टर में बड़ा केंद्र बन गया है और 2024 में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बन गया है। भारतीय ई-रिटेल बाजार का सकल वस्तु मूल्य लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। ऑनलाइन खरीदारी के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। हालांकि, निजी खपत में कमी से 2024 में ई-रिटेल क्षेत्र में वृद्धि 20 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्चस्तर से 10 से 12 प्रतिशत पर आ गयी। एक अनुमान के अनुसार, ई-रिटेल खंड अगले छह साल में 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 170 से 190 अरब डॉलर जीएमवी पर पहुंच सकता है।