अत्यधिक खपत और अतिविकास से पानी खतरे में
न्यूयॉर्क । संयुक्त राष्ट्र ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पानी दुनिया भर में ‘अत्यधिक खपत और अतिविकास’ के कारण खतरे में है। यह रिपोर्ट इस मुद्दे पर एक प्रमुख शिखर सम्मेलन के शुरू होने से कुछ घंटे पहले प्रकाश में आई। लगभग आधी सदी में जल संसाधनों पर संयुक्त राष्ट्र की पहली बड़ी बैठक से कुछ घंटे पहले जारी की गई रिपोर्ट की प्रस्तावना में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा ‘दुनिया आंख मूंदकर एक खतरनाक रास्ते पर चल रही है’। क्योंकि ‘अस्थिर पानी का उपयोग, प्रदूषण और अनियंत्रित ग्लोबल वार्मिंग मानवता के जीवन रक्त को खत्म कर रहे हैं।’
ताजिकिस्तान और नीदरलैंड की सरकारों द्वारा संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन की सह-मेजबानी न्यूयॉर्क में शुक्रवार तक लगभग 6,500 प्रतिभागियों को इकट्ठा करेगी। इसमें एक सौ मंत्री और एक दर्जन राज्य और सरकार के प्रमुख शामिल हैं। रिपोर्ट के प्रमुख लेखक रिचर्ड कॉनर ने कहा कि ‘विश्व जल संकट का प्रभाव दुनिया के इसके प्रति रवैये पर निर्भर करेगा। अगर कुछ नहीं किया जाता है, तो यह हमेशा की तरह एक व्यापारिक रवैया होगा। यह संकट दुनिया की 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत आबादी के बीच बना रहेगा। जिनकी पहुंच स्वच्छ जल तक नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा ‘वैश्विक आबादी हर दिन बढ़ रही है। आने वाले समय में ऐसे अधिक से अधिक लोग होंगे जिनकी इन सेवाओं तक पहुंच नहीं होगी।’
आईपीसीसी विशेषज्ञ पैनल द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सबसे हालिया जलवायु रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की लगभग आधी आबादी वर्तमान में पानी की गंभीर कमी का अनुभव कर रही है। इस कमी का गरीबों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।इस विषय पर समन्वय कार्य के लिए बनाया गया एक मंच यूएन-वाटर के अध्यक्ष गिल्बर्ट हॉन्गबो ने कहा ‘करने के लिए बहुत कुछ है लेकिन समय हमारे पक्ष में नहीं है।’ यूएन-वाटर और यूनेस्को द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक खपत और प्रदूषण के कारण कमी स्थानिक होती जा रही है।