सनातन धर्म में व्रत की अलग ही महिमा होती है। इसी कड़ी में विनायक चतुर्थी व्रत 22 जून गुरुवार के दिन है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ने वाले इस व्रत के साथ ही पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन गणपति जी की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से बल, बुद्धि, विद्या, धन एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में साधक को सफलता प्राप्त होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
पूजा विधि साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए और शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय गणपति जी को सिंदूर, नारियल, दूर्वा, मोदक, कुमकुम, हल्दी इत्यादि अर्पित करें। 
दिन पूजा का शुभ समय 
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 21 जून को दोपहर 03:09 पर होगी और इस तिथि का समापन 22 जून को शाम 05:27 पर हो जाएगा।