पाकिस्तान की राजनीति में लगभग भुला दिए गए मुशर्रफ का दुबई में निधन
इस्लामाबाद| पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया। वह लगभग दो साल से बीमार थे। 79 वर्षीय मुशर्रफ 2006 से दुबई में थे।
परवेज मुशर्रफ अमाइलॉइडोसिस से पीड़ित थे। एमिलॉयडोसिस एक दुर्लभ बीमारी है जो शरीर के अंगों और ऊतकों में अमाइलॉइड नामक प्रोटीन के असामान्य विकास के कारण होती है। यही बीमारी परवेज की मौत का कारण बनी।
मुशर्रफ की बीमारी का खुलासा 2018 में हुआ था जब उनकी राजनीतिक पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने कहा था कि वह दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। मुशर्रफ के निधन पर राजनीतिक दलों के नेताओं और सैन्य क्वार्टर ने शोक जताया है। ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष की ओर से इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, अल्लाह दिवंगत आत्मा को शांति दे और शोक संतप्त परिवार को शक्ति दे।
सैन्य प्रमुख, एक सैन्य तानाशाह और बाद में एक राजनेता के रूप में सत्ता में मुशर्रफ का समय प्रमुख घटनाओं से भरा हुआ रहा है, जिसकी कई लोगों द्वारा आलोचना की जाती है, जिसका खामियाजा अभी भी बड़े पैमाने पर देश को भुगतना पड़ रहा है।
मुशर्रफ की तानाशाही के समय की आलोचना कारगिल ऑपरेशन के कारण न केवल पाकिस्तान के लिए राजनीतिक शमिर्ंदगी को आकर्षित करने के लिए की गई, बल्कि लाल मस्जिद ऑपरेशन के लिए भी की गई।
1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर मार्शल लॉ लागू करने के बाद, मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह सहित पाकिस्तानी अदालतों में कई मामले सुने गए थे। यह तब हुआ जब नवाज शरीफ ने मुशर्रफ को सेना प्रमुख के पद से बर्खास्त करने की कोशिश की और उन्हें एक साल पहले ही अधिक वरिष्ठ अधिकारियों से ऊपर नियुक्त किया था।
जब मुशर्रफ ने अपने खिलाफ विभिन्न मामलों में पाकिस्तानी अदालतों में पेश होने से इनकार कर दिया था, तब उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। मुशर्रफ ऐसे व्यक्ति भी थे जो भारत-पाकिस्तान संबंधों को संबोधित करते समय कारगिल ऑपरेशन को अपनी उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित करते थे।
वो उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान विवाद का चार सूत्री समाधान दिया था, जिस पर लगभग सहमति बन गई थी। लेकिन मुशर्रफ की सरकार खत्म हो जाने के बाद इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।
मुशर्रफ हमेशा आतंकवादियों के निशाने पर रहे क्योंकि वे आतंकवादियों द्वारा कम से कम तीन हत्या के प्रयासों में बाल-बाल बचे थे। 2001 से 2008 तक उनका कार्यकाल अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमलों की पृष्ठभूमि में शासित था, जिसके कारण अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ अमेरिका द्वारा सैन्य अभियान शुरू किया गया था।
जानकारी के मुताबिक, मुशर्रफ का पार्थिव शरीर सोमवार को पाकिस्तान लाया जाएगा। पार्थिव शरीर पाक्सिातन को लाने के लिए एक विशेष चार्टर्ड विमान रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस से दुबई के लिए रवाना होगा।