रोबोट्स की परिभाषा में वक्त के साथ आ रहे बदलाव
लंदन । रोबोट्स की परिभाषा में वक्त के साथ काफी बदलाव होता दिख रहा है। ये बदलाव कागज पर नहीं बल्कि लोगों के जेहन में देखने को मिलेगा। आने वाले वक्त में ये रोबोट्स कई तरह के काम करेंगे। फिलहाल मेडिकल, स्पेस रिसर्च या नेचुरल डिजास्टर जैसे सेक्टर में रोबोट्स काम कर रहे हैं, लेकिन ये रोबोर्ट फ्यूचर की दुनिया की नींव हैं।मगर आने वाले वक्त में ये रोबोट्स डिफेंस और दूसरी कैटेगरी का भी हिस्सा बन सकते हैं। आज के वक्त में अगर आप रोबोट्स की दुनिया को तलाशने निकलेंगे, तो कुछ ऐसे रोबोट्स मिलेंगे, जिन पर यकीन कर पाना भी संभव नहीं है। ये रोबोट्स इतने छोटे हैं कि इंसानों के शरीर में घुसकर उनका इलाज कर सकते हैं। अगर आपने एनिमेटेड सीरीज देखी हों, तो बेन 10 और ड्रेगन बॉल झेड में ऐसे कई सीन आते हैं। इन सीन्स में एक जार में किसी शख्स को रखा गया होता है और छोटे-छोटे रोबोट्स उसके शरीर को ठीक करने में लगे होते हैं। ऐसे ही कुछ रोबोट्स के बारे में हम आज आपको बता रहे हैं, जिनकी शायद आपने कल्पना की होगी या फिर साइंस फ्रिक्शन में देखा होगा।इसके नाम से आप इस रोबोट का अंदाजा लगा सकते हैं। कई मूवीज में आपने नैनोबॉट्स टर्म के बारे में सुना होगा और इसके एक स्टेज आगे की दुनिया इंजेक्टेबल नैनोबॉट्स हैं।
ये बॉट्स किसी शख्स की बॉडी में घुसकर उसके इलाज में मदद कर सकते हैं।इतना ही नहीं आज आप कोई दवा खाते हैं, तो वो पहले पेट में जाती है। पचती और फिर आपके ब्लड में मिलकर असर करती है। फ्यूचर में इंजेक्टेबल नैनोबॉट्स इस काम को आसान और तेज बना देंगे। इन बॉट्स को कॉरनेल यूनिवर्सिटी में डिजाइन किया गया है। फिर ये सोलर पावर से चलते हैं, इसलिए इन्हें शरीर में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन हर पल बदलती टेक्नोलॉजी किसी रोज इन्हें हमारे शरीर में काम करने लायक बना देगी। रिसर्चर्स इसके स्मार्ट वर्जन पर काम कर रहे हैं, जिन्हें बेहतर तरीके से कंट्रोल और मैनेज किया जा सकेगा।वैसे तो स्पेस में कई रोबोट्स जा चुके हैं। कई मौजूद हैं और कई आने वाले दिनों में जाएंगे, लेकिन हम एक ऐसे रोबोट की बात कर रहे हैं, जो देखने में काफी हद तक ह्यूनॉइस के कॉन्सेप्ट जैसा है।
रूस ने इमरजेंसी स्थिति में रेस्क्यू के लिए फेडॉर को तैयार किया था।इस रोबोट पर बाद में रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोमोस ने काम करना शुरू किया, जिससे इसे स्पेस में भेजा जा सके। इस रोबोट को कई काम इंसानों की तरह आते हैं। इसे इलेक्ट्रिक केबल कनेक्ट करना और डिसकनेक्ट करना भी आता है। हालांकि, इसके स्पेस में पहुंचते ही साफ हो गया कि इसे बनाने में कई गलतियां हुई हैं। मसलन इसके बड़े हाथ और पैर जीरो ग्रैविटी के इसके लिए मुसीबत बनने लगे। आईएसआरओ ने भी अपना एक रोबोट तैयार किया है। इस रोबोट का नाम व्योममित्र है, जो गगनयान मिशन का हिस्सा होगा। ये रोबोट कई भाषाएं जानती है और इसका चेहरा काफी हद तक इंसानों जैसा है।
आईएसआरओ इस रोबोट को एक असिस्टेंट की तरह विकसित कर रहा है, जो गगनयान मिशन में इंसानों की मदद करेगी। इसरो ने इसे साल 2020 में पहली बार अनवील किया था। इन रोबोट्स को बनाने वालों का मानना है कि ये दुनिया के पहले जिंदा रोबोट्स हैं। इन रोबोट्स को एक मेंढक के दिल और चमड़ी के सेल की मदद से विकसित किया गया है। इन पर अभी शोध चल रहा है।ऐसे रोबोट्स का इस्तेमाल डिफेंस में होगा, लेकिन ये किसी भी जंग को बदल कर रख देंगे। फाइटर ड्रोन्स के प्रभाव से आप इस तरह के रोबोट्स की क्षमता का अंदाजा लगा सकते हैं। ये रोबोट्स किसी भी युद्ध को पूरी तरह के बदलकर रख देने की क्षमता से भरे पड़े होंगे। अगर आपने कभी स्टार वार्स देखी होगी, तो क्लोन वॉर वाली लड़ाई की तुलना इस परिस्थिति से कर सकते हैं।
अमेरिकी सेना में ऐसे रोबोट डॉग्स हैं, जो स्नाइपर गन से लैस हैं। ये रोबोट्स इंसानों के कमांड पर काम करते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो ये रोबोट्स लगभग 10 फीट की दूरी महज एक सेकेंड में तय कर सकते हैं। इससे ही आप इनकी क्षमताओं का अंदाजा लगा सकते हैं। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि फ्यूचर में ये रोबोट्स मेडिकल के क्षेत्र में काफी कारगर साबित होंगे। ये खुद को खुद से ठीक कर सकेंगे यानी सेल्फ रिपेयर टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। किसी इंसान के शरीर में ड्रग्स डिलीवर करने समेत और भी बहुत से काम इनकी मदद से किए जा सकेंगे। कल्पना करें कि किसी रोज आपका सामने ऐसे रोबोट्स से हो, जो हथियार चलाते हों।
बता दें कि टेक्नोलॉजी हर दिन के साथ विकसित और बेहतर हो रही है. रोबोट्स जिन्हें कभी केवल मशीन समझा जाता था, वे अब इंसान के करीब यानी ह्यूमनॉइड रोबोट होते जा रहे हैं। हर वो मशीन जो इंसानों के काम को असान करती है और सॉफ्टवेयर के कॉम्बिनेशन के साथ आती है, उन्हें रोबोट्स कहते हैं।