पिघल रहा अंटार्कटिका का डूम्सडे ग्लेशियर
अंटार्कटिका । अंटार्कटिका का ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ तेजी से पिघल रहा है और अब यह ढहने की कगार पर है। ग्लेशियर का नाम हवाइट्स है, लेकिन इसे ‘डूम्सडे’ यानी कयामत का दिन कहकर पुकारा जाता है। नए आंकलन के अनुसार इस ग्लेशियर के पतन से समुद्र के स्तर में भयावह वृद्धि हो सकती है। ग्लेशियर का आकार भारत के गुजरात राज्य के बराबर माना गया है और और इसके ढहने से समुद्र स्तर में 10 फीट तक की बढ़ोतरी हो सकती है। जर्नल नेचर में अपने निष्कर्षों को प्रकाशित करने वाले ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं ने इस बारे में चिंता जाहिर की है।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसके अनुसार ग्रीनलैंड या हिमालय से कोई मदद नहीं मिली है और खतरा बना हुआ है। गर्म पानी सतह के आधे किलोमीटर से अधिक नीचे तक पहुंच गया है और यह अब ग्लेशियर के फ्रैक्चर और दरारों में सीधे जाकर मिल रहा है, जिससे प्रति वर्ष 43 मीटर की दर से नई घाटियां बन रही हैं। इसे कयामत का दिन ग्लेशियर (डूम्सडे) कहा जाता है क्योंकि यह अपने सबसे बड़े बिंदु पर 120 किमी चौड़ा है, अब तेजी से आगे बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार इसमें वैश्विक समुद्र स्तर को आधे मीटर से अधिक तक बढ़ाने के लिए पर्याप्त पानी है। हर साल यह अरबों टन बर्फ समुद्र में छोड़ता है, जो समुद्र के स्तर में वार्षिक वृद्धि का लगभग 4 प्रतिशत है। वहीं, मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लेशियर सीफ्लोर से मिलता है, जो 1990 के दशक के उत्तरार्ध्द से लगभग नौ मील (14 किलोमीटर) पीछे हट गया है, जिससे समुद्र के पानी के तुलनात्मक रूप से गर्म होने के लिए बर्फ का एक बड़ा टुकड़ा उजागर हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक थ्वाइट्स के कुल पतन के परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर दो फीट (70 सेंटीमीटर) से अधिक बढ़ सकता है, जिससे दुनिया भर के तटीय शहर तबाह हो सकते हैं। थ्वाइट्स पश्चिम अंटार्कटिका में आसपास की बर्फ के लिए एक प्राकृतिक बांध के रूप में भी काम कर रहे हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर थ्वाइट्स ढह गए, तो वैश्विक समुद्र का स्तर लगभग 10 फीट बढ़ जाएगा।