नई दिल्ली । इस साल दिवाला कानून के तहत दबाव वाली संपत्तियों के समाधान का आंकड़ा 300 तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरपर्सन रवि मितल ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने समाधान पेशेवरों के मामलों को तेजी से आगे बढ़ाने का आह्वान किया। मित्तल ने कहा कि ऋणदाताओं ने दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के जरिए लगभग तीन लाख करोड़ रुपए की वसूली की है। पिछले साल यह आंकड़ा 51,000 करोड़ रुपए से अधिक था। उस समय ऐसे समाधान का आंकड़ा 80 प्रतिशत बढ़कर 180 हो गया था। वह राष्ट्रीय राजधानी में आईबीबीआई के सातवें वार्षिक दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। आईबीबीआई, आईबीसी को लागू करने वाला प्रमुख संस्थान है। 
मित्तल ने कहा कि आईबीसी ने गैर-निष्पादित आस्तियों में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून वसूली का तंत्र नहीं है, बल्कि समाधान प्रक्रिया है। इस साल अगस्त तक 135 समाधान हुए हैं और साल के अंत तक यह संख्या 300 तक पहुंचने की संभावना है। मितल ने समाधान पेशेवरों से मामलों को तेजी से आगे बढ़ाने को कहा है। कॉरपोरेट मामलों के सचिव मनोज गोविल ने इस मौके पर कहा कि सरकार समाधान प्रक्रिया को तेज बनाने के लिए आईबीसी में संशोधन करने को तैयार है।