सुको में पदोन्नति में आरक्षण पर राज्यवार सुनवाई 24 से
भोपाल । पदोन्नति में आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट अब आगामी 24 फरवरी से राज्यवार सुनवाई करेगा। इसीलिए मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के डाटा को लेकर जो पैमाना तय किया है। उसके हिसाब से मध्य प्रदेश की पूरी तैयारी है, पर राज्य को लेकर फैसला अभी नहीं आया है। मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुद्दे तय कर दिए हैं। अब इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर केंद्र और राज्यों की सरकार पदोन्नति को लेकर निर्णय लेंगी। सुप्रीम कोर्ट 24 फरवरी से राज्यवार सुनवाई शुरू करेगा। पहले केंद्र सरकार के मामले सुने जाएंगे और फिर राज्यों के। तब मध्य प्रदेश का डाटा कोर्ट में पेश किया जाएगा। जिसके विश्लेषण के बाद प्रदेश के संदर्भ में फैसला आएगा। प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों का पौने छह साल बाद भी पदोन्नति का इंतजार खत्म नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के वकील मनोज गोरकेला कहते हैं कि सरकार ने जिन मुद्दों की ओर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान दिलाया था। उन पर स्थिति अब साफ हो गई है। अब पदोन्नति के नए नियम बनाने की भी जरूरत नहीं है। वे कहते हैं कि कोर्ट ने एससी-एसटी के जिस तरह के डाटा की बात की है, प्रदेश में वह तैयार है। हमारे पास संवर्गवार, वर्गवार और विभागवार डाटा उपलब्ध है। बस अब राज्य के संदर्भ में कोर्ट के फैसले का इंतजार है। गोरकेला कहते हैं कि 24 फरवरी से राज्यवार सुनवाई शुरू होगी, तब प्रदेश का डाटा कोर्ट में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने डाटा या रिव्यू का समय तय करने का दायित्व राज्यों की सरकार पर छोड़ दिया है। वर्ष 2006 में आए एम.नागराज फैसले को आधार बनाकर कुछ राज्यों में वर्ष 1994 वालों को पदावनत (रिवर्ड) कर दिया था। उन्हें भी राहत मिल गई है। प्रदेश के कर्मचारी लगभग पौने छह साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। इस अवधि में 60 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से करीब 32 हजार कर्मचारियों को बगैर पदोन्नति के सेवानिवृत्त होना पड़ा है। सरकार ने वर्ष 2018 में सेवा की अवधि दो साल बढ़ाकर 62 साल कर दी थी। वरना, सेवानिवृत्त होने वालों का आंकड़ा 75 हजार के पार हो जाता। बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002" खारिज कर दिया है।