भोपाल । प्रदेश की धरा में कई नए बहुमूल्य और दुर्लभ खनिजों के भंडार होने के संकेत मिले हैं। इनमें कुछ दुर्लभ धातुएं भी हैं, जो प्रदेश का खजाना भरेंगी। खनिज विज्ञानी इससे उत्साहित हैं। कहीं खोजबीन का काम शुरू होने वाला है तो कहीं खुदाई के लिए ब्लॉक नीलामी की तैयारी है।उधर, विशेषज्ञों का दल दतिया जिले के गोविंदपुर ब्लॉक में 82.45 वर्ग किमी की खाक छान रहा है। उन्होंने टोही सर्वेक्षण में टंगस्टन, टिन जैसी दुर्लभ धातुएं होने की पुष्टि की है। दतिया के ही बीजापुर ब्लॉक में भी इसी तरह के संकेत मिले हैं। सीधी जिले के बगवारी में तांबा के अलावा सीसा-जस्ता की बड़ी मात्रा होने की जानकारी सामने आई है। इनका उपयोग परमाणु ऊर्जा में भी होता है। यहां ग्रेफाइट और संबंधित खनिज मिलने की उम्मीद में सर्वेक्षण किया जा रहा है। निवाड़ी के तरिचर खुर्द ब्लॉक में भी 100 किमी से अधिक क्षेत्र में तांबा, सीसा-जस्ता मिलने के संकेत हैं।

जी-3 लेवल का सर्वेक्षण
आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में फॉस्फेट की उच्च मात्रा समेटे गैर डिटरिटल तलछटी चट्टानें बहुतायत में पाई गई हैं। कचलदरा में इसका खनिज ब्लॉक चिह्नित किया गया है, जो 5.60 वर्ग किमी में फैला है। इसमें फॉस्फोराइट खनिज की खोजबीन के लिए जी-3 लेवल का सर्वेक्षण जारी है।

मिनरल्स की लंबी फेहरिस्त
अधिकारियों के मुताबिक, खासकर कोराना के बाद प्रदेश में नए खनिजों की खोज के काम में ज्यादा तेजी आई है। वर्ष 2022-23 के दौरान देवास के कौलासा, पपलानी और गरारी एरिया में जी-3 चरण का सर्वे कर बेराइट होना पाया गया। बेराइट का उपयोग दवा बनाने में भी होता है। इसी तरह आलीराजपुर में आरईई-चूना पत्थर, बैतूल-नर्मदापुरम में सीसा, छतरपुर में आधार धातु, कटनी-उमरिया में स्वर्ण, छतरपुर में फॉस्फोराइट सहित कई मिनरल्स का पता लगा है। अब आगे के चरण जल्द पूरा कर उनकी खुदाई की तैयारी हो रही है।

खनिजों की पहचान का नया विस्तार
इधर, हीरा के अलावा मैंग्नीज, बॉक्साइट और चूना पत्थर की बहुतायत के लिए प्रदेश की पहचान दुनियाभर में है। बालाघाट के कटोरी-झरिया खनिज ब्लॉक में टोही सर्वेक्षण शुरू किया है। वहां 140 किमी क्षेत्र में मैंग्नीज और उससे संबंधित खनिजों के डिपॉजिट का पता लगाया जा रहा है। उमरिया, अनूपपुर, सिंगरौली और छिंदवाड़ा में डेढ़ दर्जन से अधिक नए कोयला ब्लॉक चिह्नित किए गए हैं।

ऐसे चलता है सर्वेक्षण
जी-4 : सर्वे के इस चरण में सरसरी तौर पर सर्वे कर खनिज होने की संभावना का पता लगाया जाता है। इसमें ऑक्शन नहीं होता।
जी-3 : इसमें खनिज होना कंफर्म हो जाता है। रॉयल्टी तय कर कंपोजिट लाइसेंस जारी किया जाता है।
जी-2 : खनिज ब्लॉक के एरिया और उसमें मिनरल की क्वांटिटी का निर्धारण कर लिया जाता है।
जी-1 : इस चरण में खनिज के बारे में सारे पहलू पता कर लिए जाते हैं। इस आधार पर माइनिंग भी शुरू कर दी जाती है।

इनका कहना है
प्रदेश भर में मेजर मिनरल्स के 50 नए ब्लॉक हैं, जिनकी निविदा की प्रक्रिया की जा रही है। माइनर मिनरल्स के भी 20 ब्लॉक चिह्नित हैं। खनिज का रेवेन्यू भी बढक़र दोगुना हो गया है।
-बृजेंद्र प्रताप सिंह, खनिज साधन मंत्री