सरकारी मेडिकल कॉलेजों को डिप्टी कलेक्टर के हवाले करने पर नाराजी
भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर डिप्टी कलेक्टर को प्रतिनियुक्ति में लाने का प्रस्ताव कर रही है। यह तीसरा मौका है, जब सरकार यह प्रयास कर रही है। वहीं मेडिकल कॉलेज के टीचर्स इसका विरोध कर रहे हैं।
कैबिनेट बैठक में इस विषय पर निर्णय लिया जाना है। इसकी जानकारी लगते ही सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन एवं टीचर्स ने विरोध करना शुरू कर दिया है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में डिप्टी कलेक्टर को अधीक्षक बनाने का प्रस्ताव है। प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति हो जाने के बाद मेडिकल कॉलेज के सभी प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार प्रशासनिक अधिकारी के पास होंगे।
सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन और अन्य टीचर्स का कहना है कि डिविजनल कमिश्नर एवं दो वरिष्ठ अधिकारी सरकारी मेडिकल कॉलेज की कमेटी में पहले से ही पदस्थ हैं। अधीक्षक के रूप में यदि प्रशासनिक अधिकारी होगा, तो वह भी संभागीय आयुक्त के अधीन काम करेगा। ऐसे में शैक्षणिक और स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित होंगी।
दिसंबर 2021,मार्च 2022 में भी इसी तरीके का प्रस्ताव लाया गया था। जिसका भारी विरोध हुआ था। तीसरी बार यह प्रस्ताव फिर कैबिनेट में लाया जा रहा है। मध्य प्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन का कहना है, कि वह इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे। काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, तो मंगलवार से सभी मेडिकल कॉलेज पूरी तरह से काम बंद कर देंगे।