आईएमएफ से भीख मांग रहा पाकिस्तान, सेना यूक्रेन को बेच रही हाथियार और गोला बारुद
कराची । कर्ज में डूबा पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आटे की वजह से भगदड़ में होने वाली मौत हो या फिर रमजान पर महंगे फल और सब्जी, ये पाकिस्तानी जनता को परेशान कर रही हैं। इस सबसे बड़े संकट के बीच ही पाकिस्तानी सेना से जुड़े इसतरह के सबूत सामने आए हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह से पाकिस्तानी आर्मी ने भारी मात्रा में हथियारों और गोला-बारूद यूक्रेन को बेचकर ज्यादा से ज्यादा फायदा कमाया है। पाकिस्तान ने पश्चिमी देशों के रास्ते इन हथियारों को यूक्रेन भेजा है। दिलचस्प बात है कि जिस समय पाकिस्तान, रूस से आटा ले रहा था उसी समय उसके दुश्मन के हथियार सप्लाई कर रहा था।
पाकिस्तान हमेशा से दावा करता आया है कि वह यूक्रेन के युद्ध में तटस्थ है लेकिन जो डॉक्यूमेंट्स सामने आए हैं, वहां कुछ और ही बताते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल फरवरी और मार्च के बीच, 42,000 122 एमएम बीएम-21 मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पाकिस्तान से भेजे गए थे। पाकिस्तान ने इन हथियारों को अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब के रास्ते यूक्रेन भेजा था। पाकिस्तान की ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां ब्रिटेन, अमेरिका और सऊदी अरब के रास्ते यूक्रेन को गोला-बारूद बेच रही हैं। पाकिस्तान ने इस आदान-प्रदान को सीक्रेट रखने की काफी कोशिशें की लेकिन असफल रहा।
इन हथियारों की बिक्री से पाकिस्तान को अब तक 364 मिलियन डॉलर मिले हैं। जबकि बाकी 309 मिलियन डालर अभी पेंडिंग हैं। हैरानी की बात है कि 364 मिलियन डॉलर में से, प्रॉफिट का एक बड़ा हिस्सा यानी 80 फीसदी रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना मुख्यालय में चला गया है। इन डॉक्यूमेंट्स से पता लगता है कि कैसे हथियारों की भारी मात्रा और पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्ट्स पर जमा है।
जो मुनाफा पाकिस्तानी सेना को हुआ है, वह भी चौंकाने वाला है। शायद यही वजह है कि देश के आर्थिक संकट के बावजूद पाकिस्तानी सेना हथियार हासिल करने में लगी हुई है। पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री एक सरकारी कॉरपोरेशन है जो वाह कैंट, पंजाब, पाकिस्तान में स्थित है। यह फैक्ट्री सबसे अहम डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर है। इसके अलावा यह पाकिस्तान के रक्षा उत्पादन मंत्रालय के तहत ऑपरेट होने वाली सबसे बड़ी डिफेंस फैक्ट्री है। बिल के अनुसार, लोडिंग और अनलोडिंग, पैकिंग, मजदूरी और और पोर्ट क्लीयरेंस से जुड़े कामों के लिए 43 मिलियन पाकिस्तानी रुपए खर्च होने का अंदाजा लगाया गया है। कराची पोर्ट ट्रस्ट के ट्रैफिक मैनेजर को संबोधित एक अन्य पत्र में शिपमेंट के लिए बंदरगाह में माल प्रवेश करने की अनुमति के लिए अनुरोध 18 जनवरी, 2023 को किया गया था।