रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रश्नकाल में विपक्ष के विधायकों डा रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल, रजनीश सिंह और केएम बांधी ने पीएससी भर्ती को लेकर सवाल किया। डा रमन सिंह ने पूछा कि पीएससी परीक्षा वर्ष 2021 और 2022 के परिणाम में प्रथम बीस चयनित अभ्यर्थियों के नाम, पिता का नाम और प्रप्तांक की जानकारी दें। विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि जनवरी 2021 से लेकर जून 2023 तक छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के किन-किन पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। किन पदों पर नियुक्ति दी गई। पीएससी के अध्यक्ष कौन हैं और कब से पदस्थ है। इसके लिखित जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि जानकारी एकत्र की जा रही है।

वहीं, विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल किया कि क्या पीएससी से जुड़े पदाधिकारियों, अधिकारियों, सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों के पुत्र-पुत्रियों का चयन हुआ है। इसके लिखित जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि मुख्य परीक्षा 29 मई 2022, साक्षात्कार 30 सितंबर 2022 और अंतिम परिणाम 11 मई 2023 को जारी किया गया। पारिवारिक जानकारी संधारित नहीं की जाती है। परिणाम जारी करने में कोई विलंब नहीं किया गया।

पांच साल से नियमितिकरण की मंगा रहे जानकारी: कौशिक

विधायक धरमलाल कौशिक और केएम बांधी ने प्रदेश में कार्यरत अनियमित, दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर सवाल किया। विधायकों ने पूछा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र को आत्मसात किया है। इसमें अनियमित कर्मचारियों को विभागों में कब तक समायोजित किया जाएगा। इसके लिखित जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विभागों से जानकारी एकत्र की जा रही है। नियमितिकरण के लिए प्रमुख सचिव उद्योग विभाग की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर अनुसूचित क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग की व्यवस्था की गई है। कौशिक ने कहा कि पांच साल से सरकार जानकारी मंगा रही है। एक दर्जन से ज्यादा सवाल पर सिर्फ जानकारी जुटाने का उत्तर आता है। दुर्भाग्य यह है कि अंतिम सत्र होने बाद भी अभी तक इसका जवाब नहीं आया है और न ही इस विषय पर सरकार द्वारा कोई विचार किया गया है। न ही विधानसभा में सही जानकारी दी जा रही है।

भाजपा विधायकों के सवाल का जवाब

* भारतीय प्रशासनीक सेवा के समीर बिश्नोई और एपी त्रिपाठी के खिलाफ ईडी में चल रही है जांच।

* 33 हजार करोड़ का सरकार पर कर्ज, पिछले एक साल में एक भी रुपये का नहीं लिया कर्ज।

* क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सरकार ने न तो राज्यपाल को दी, न ही विधानसभा के पटल पर रखा।