सितंबर का पहला पखवाड़ा भी बीतने को है और अभी तक छत्‍तीसगढ़ में बारिश की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। यह देखा जा रहा है कि बीते 41 वर्षों में इस वर्ष अगस्त का महीना सबसे सूखा रहा है। पूरे अगस्त माह में प्रदेश भर में 229.7 मिमी बारिश हुई है। यह वर्षा सामान्य वर्षा की तुलना में काफी कम है। हालांकि प्रदेश में एक जून से लेकर सात सितंबर तक की स्थिति में 810 मिमी से ज्यादा वर्षा हो चुकी है। बारिश की कमी के चलते जलाशय भी सूखे पड़े हुए है।

मौसम विभाग का कहना है कि इससे पहले वर्ष 1982 में प्रदेश के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी स्थिति बनी थी और उसके बाद इस वर्ष मानसून की बेरुखी बनी हुई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अभी हालांकि प्रदेश में मानसून द्रोणिका के प्रभाव से मंगलवार को छत्‍तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा होगी। रायपुर में हल्की से मध्यम वर्षा और बस्तर क्षेत्र में भारी वर्षा के आसार है। अधिकतम तापमान में विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।

मानसूनी तंत्र के प्रभाव से सोमवार को भी रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आंशिक रूप से बादल छाए रहे। कुछ क्षेत्रों में हल्की वर्षा भी हुई। अधिकतम तापमान में थोड़ी गिरावट के कारण अभी मौसम में थोड़ी ठंडकता बनी हुई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अभी तक तक मौसम के मिजाज में बदलाव के आसार नहीं है।

यह बन रहा सिस्टम

मौसम विज्ञानी ने बताया कि मानसून द्रोणिका मध्य समुद्र तल पर जैसलमेर, कोटा, गुना, सागर, पेंड्रारोड,बालासोर और उसके बाद उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी तक फैला है। इसके प्रभाव से मंगलवार को अधिकतम तापमान में विशेष बदलाव नहीं होगा। प्रदेश भर में हल्की से मध्यम वर्षा होगी और वर्षा का क्षेत्र मुख्य रूप से दक्षिण छत्तीसगढ़ रहेगा।