छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के वनांचल ग्राम सिंगपुर (बूटीगढ़) प्राकृतिक दवाखाना है। यहां 119 प्रकार के दुर्लभ औषधीय पौधे हैं। इनमें से मरोड़फली, सरिवा, तिनिष अति दुर्लभ पौधों में से एक है। अक्टूबर-2024 को यहां तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी के प्रयास से आयुर्वेदिक रस शाला का शुभारंभ हुआ। अब यहां हर्बल पार्क भी बनाने की तैयारी है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने बूटीगढ़ का निरीक्षण कर अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर ने किया अवलोकन

बता दें कि धमतरी में आयर्वुेदिक रस शाला खुलने को लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आयुष विभाग और धमतरी जिला प्रशासन की सराहना कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में 59,772 वर्ग किमी वन क्षेत्र है, यहां 450 प्रकार की जड़ी-बूटियां और पेड़ हैं। इनका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। वर्तमान में महासमुंद जिले के मुुढीपार, सरगुजा के प्रतापपुर, जशपुर के पनचक्की, बिलासपुर के केवंची में प्रसंस्करण केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। धमतरी में भी ऐसा प्रयास हुआ तो वृहद स्तर पर उद्योग स्थापित हो सकता है।

समस्या : कच्चा रास्ता, पर्यटकों की संख्या अभी कम

कलेक्टर अबिनाश मिश्रा बुधवार को बूटीगढं पहुंचे उन्होंने जड़ी-बूटियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए हो रहे प्रयासों की जानकारी ली। कलेक्टर ने क्षेत्र को हर्बल पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव बनाने कहा। ग्रामीणों से गांव और क्षेत्र के विकास को लेकर चर्चा भी की। औषधि पौधों की सिंचाई के लिए सोलर पंप लगाने का प्रस्ताव बनाने कहा गया।

किसानों को मेडिशनल प्लांट की खेती करने और यहां के जनजातीय समुदाय को वन संपदाओं का संग्रहण कर आजीविका चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर ने आयुष विभाग, जिला प्रशासन, वन विभाग सहित अन्य शासकीय विभागों को समन्वय बनाकर प्रस्ताव तैयार करने कहा है।

रिसर्च काम पूरा हो चुका

रस शाला के नोडल अधिकारी डॉ रविन्द्र वर्मा ने बताया कि बूटीगढ़ में पूर्व में 25000 औषधीय पौधे रोपे गए थे। यहां ऐसे कई आयुर्वेदिक पौधे हैं, जिन्हें उपचार के लिए चूर्ण या टेबलेट बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। रिसर्च का काम पूरा हो गया है। अभी सिर्फ शनिवार को दो प्रकार के जूस मिल रहे हैं। रस शाला की स्थापना औषधि गुणयुक्त पौधों के संवर्धन, प्रचार-प्रसार और उपयोगिता के लिए की गई है।

तीन महीने बाद रेग्यूलर मिलेगा औषधीय जूस

बूटीगढ़ के आयुर्वेदिक रस शाला में वर्तमान में गिलोय रस, भोए आंवला की चटनी मिल रही है। अन्य औषधीय जूस, अर्क और क्वाथ अभी नहीं मिल रहा है। सूत्रों ने बताया कि तीन महीने बाद आयुष चिकित्साधिकारी की यहां नियुक्ति होगी। इसके बाद नियमित सातों दिन आयर्वुेदिक जूस मिल सकेगा। आयुर्वेदिक रस निर्माण को लेकर भी आयुष चिकित्साधिकारी ट्रेनिंग पर गई हैं।

जिला मुख्यालय धमतरी से बूटीगढ़ की दूरी लगभग 50 किमी है। यहां तक पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। प्रचार-प्रसार नहीं होने और सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पाने से फिलहाल यहां पर्यटकों की संख्या कम है। यहां पर्यटकों को आकर्षित करने जैसी सुविधाओं की कमी है। वर्तमान में यहां दिनभर में दो-चार पर्यटक ही आ रहे हैं। पूर्व में गांव के पास एक रपटा और चेकडेम निर्माण का काम डीएमएफ से स्वीकृत हुआ है, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया।