भोपाल ।   अगस्त के महीने में भले ही वर्षा कम हुई है, लेकिन सीजन के अंतिम माह सितंबर में मानसून पूरे प्रदेश पर मेहरबान है। पिछले तीन दिनों से अधिकतर जिलों में रुक-रुककर वर्षा होने का सिलसिला जारी है। कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो रही है। इससे सरोवरों का जल स्तर भी बढ़ रहा है। उधर, पिछले 24 घंटों के दौरान शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक जबलपुर में 90.8, इंदौर में 87, खंडवा में 76.9, सतना में 69, दतिया में 68.8, धार में 65.4, खरगोन में 60, भोपाल (शहर) में 54.6, सीधी में 43.2, टीकमगढ़ में 37, छिंदवाड़ा में 36.2, ग्वालियर में 33.1, नरसिंहपुर में 31, नर्मदापुरम में 24.6, भोपाल (एयरपोर्ट) में 23.9, उज्जैन में 22, नौगांव में 18.2, सिवनी में 16.8, रतलाम में 11, मंडला में 7.3, पचमढ़ी में 6.4, रीवा में 5.6, मलाजखंड में 4.4, बैतूल में 4.2, उमरिया में चार, शिवपुरी में तीन, दमोह में दो, सागर में 1.8, खजुराहो में 1.2 मिलीमीटर वर्षा हुई।

अब तक सामान्य से 14 फीसदी कम वर्षा

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक रुक-रुककर बौछारें पड़ने का सिलसिला शनिवार-रविवार को भी जारी रहने की संभावना है। बता दें कि इस सीजन में एक जून से लेकर शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 738.9 मिलीमीटर वर्षा हुई। जो सामान्य वर्षा (856.0 मिमी.) की तुलना में 14 प्रतिशत कम है। प्रदेश के 22 जिलों में 20 से लेकर 39 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है।

पूरे प्रदेश में छाया मानसून

मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी एसएन साहू ने बताया कि मप्र के मध्य में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ है। मानसून द्रोणिका जैसलमेर, कोटा, रायसेन, उमरिया, पेंड्रा रोड, जमशेदपुर, दीघा से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। पूर्व-पश्चिमी द्रोणिका भी मध्य प्रदेश और उससे लगे विदर्भ पर बनी हुई है। इन मौसम प्रणालियों के प्रभाव से पूरे प्रदेश में वर्षा हो रही है।

उत्तरी व पूर्वी मप्र में तेज होगा बारिश का सिलसिला

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि प्रदेश के मध्य में बना चक्रवात अब उत्तरी मप्र की तरफ जा रहा है। इस वजह से पश्चिमी मप्र में वर्षा की गतिविधियां कुछ कम होगी। उधर उत्तरी एवं पूर्वी मप्र में वर्षा का सिलसिला और तेज होने के आसार हैं। शुक्ला के मुताबिक प्रदेश में रुक-रुककर वर्षा होने का सिलसिला अभी एक सप्ताह तक बना रह सकता है। बीच-बीच में मौसम कुछ साफ होगा, लेकिन तापमान बढ़ते ही स्थानीय स्तर पर भी गरज-चमक के साथ वर्षा होगी।