नई दिल्ली । संसद में एक ओर जहां अ‎विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और शिवसेना सदस्य श्रीकांत शिंदे ने सदन में हनुमान चालीसा का पाठ किया। इसके पश्चात नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सरकार पर कश्मीरी पं‎डितों के ‎‎विस्थापन का मुद्दा उठाया। लोक सभा में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि सिर्फ एक रंग का। सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा ‎कि एनडीए सरकार किसी भी कश्मीरी पंडित को घाटी में वापस लाने में विफल रही है। अब्दुल्ला ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि पीएम सिर्फ एक रंग का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को भारत का हिस्सा होने पर गर्व है। लेकिन इस देश की जिम्मेदारी न केवल हिंदुओं, बल्कि मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों और भारत में रहने वाले हर व्यक्ति के प्रति है। प्रधानमंत्री भारत के 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसको नजरअंदाज नहीं किया जाना चा‎हिए। 
चर्चा के दौरान अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि हर कोई गलती करता है, उन्होंने कश्मीरी पंडितों को घर वापस लाने की कोशिश की थी, हालांकि इसके वांछित परिणाम नहीं मिले। अब्दुल्ला ने बताया ‎कि जब हमने कोशिश की, तो सीमा पार से आए दहशतगर्दों ने एक गांव में निर्दोष कश्मीरी पंडितों को मार डाला। हमने तुरंत उन 50 वाहनों को रोक दिया, जो उन्हें घर वापस लाने वाले थे, उन्‍हें वहां खतरा था। उन्होंने केंद्र से सवाल किया कि वह पिछले 10 वर्षों में कितने कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस लाए हैं। इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा ‎कि यह कहना कि इस सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया, गलत है और सदन को गुमराह करने वाला बयान है।
इसी दौरान सदन में श्रीकांत शिंदे ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने यूपीए के साथ गठबंधन किया है, जिसकी विचारधारा पूरी तरह से अलग है। शिंदे ने 1990 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यूपीए की घटक समाजवादी पार्टी ने अयोध्या आंदोलन के दौरान कार सेवकों पर गोलियां भी चलवाई थीं, जब दिवंगत सपा नेता मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट पर हिंदुत्व और बाल ठाकरे की विचारधारा को त्यागने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री के रूप में ठाकरे के शासनकाल के दौरान लोगों को महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने से रोका गया था।