खत्म होगी ग्रुप की नीलामी
भोपाल । शराब दुकानों की दूसरी बार ऑनलाइन नीलामी हुई, जिसमें ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई। मौजूदा कारोबार संभाल रहे सिंडिकेट ने दूरी बनाकर रखी हुई है ताकि सरकार कीमतों पर एक बार फिर विचार करे। इधर, सिंडिकेट की मंशा पर पानी फेरते हुए विभाग ने दुकानों के ग्रुप को खत्म करके सिंगल-सिंगल देने का मन बना लिया है ताकि छोटे ठेकेदार आसानी से ले सकें। वर्तमान में बचे हुए ग्रुप की कीमत काफी है। इंदौर में शराब दुकानों के 64 ग्रुप हैं, जिसमें से पहले चरण में 28 ग्रुप का ठेका चला गया था। सरकारी बोली से ऊंची कीमत लगाकर ठेकेदारों ने दुकानें खरीदीं। बची हुई दुकानों की सरकार ने ऑनलाइन नीलामी रखी थी, जिसमें से सिर्फ चार ही ग्रुप के ठेके उठ पाए। अब 32 ग्रुप बचे हैं, जिनके ठेके होना हैं। इनमें से कई ऐसे ग्रुप हैं जिसमें 3-3 दुकानें भी हैं। उनकी सरकारी बोली 50 करोड़ रुपए से अधिक है। इस बार भी वर्तमान में काबिज सिंडिकेट के ठेकेदारों ने नीलामी में रुचि नहीं दिखाई है। इधर, सिंडिकेट से बाहर के ठेकेदारों ने अपनी-अपनी दुकानें ले ली और उनकी दूसरी दुकानों को लेने में रुचि नहीं है। वहीं इतनी बड़ी राशि के ग्रुप उठाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। सिंडिकेट के सदस्य चाहते हैं कि सरकार रियायत दे तो वे फिर काम पर लग जाएंगे।
मजेदार बात ये है कि अब सरकार दूसरे ही मूड में आ गई है। ग्रुप की बजाय अब वह बची हुई दुकानों को सिंगल-सिंगल करके बेचने की तैयारी कर रही है। उसे मालूम है कि सिंगल दुकान करने पर कई छोटे ठेकेदार भी कूद पड़ेंगे। ऐसे में सारी दुकानें चली जाएंगी। इसके साथ में सिंडिकेट की मोनोपॉली भी नहीं चल पाएगी।
ठेकेदारों में है ये भी डर
नई नीति के साथ में आबकारी विभाग ने शराब दुकानों के सर्कल में भी बदलाव किया है। इससे ठेकेदारों का सारा समीकरण गड़बड़ाया हुआ है, क्योंकि सरकार ने देशी व विदेशी शराब एक ही दुकान पर बेचे जाने की पॉलिसी लागू कर दी। ऐसे में सर्कल के बदलने से कई दुकानें आमने-सामने आने की स्थिति भी हो जाएगी। ऐसा होता है तो दोनों को नुकसान होगा। इस डर से ठेकेदार घबरा रहे हैं। हालांकि आबकारी विभाग प्रयास कर रहा है कि ऐसी स्थिति निर्मित न हो।
शराब दुकानों को नहीं मिल रहे ठेकेदार
जबलपुर में शराब दुकानों का ठेका लेने में ठेकेदार रुचि नहीं ले रहे हैं। दूसरे चरण के टेंडर में 24 समूहों की बोली लगनी थी, लेकिन चार समूहों की दुकानों का ही निष्पादन हो सका। इनके अंतर्गत करीब 13 देशी-विदेशी शराब दुकानें हैं। इस बीच 20 समूहों की दुकानों को ठेकेदार मिलने का इंतजार है। ऐसी स्थिति में आबकारी विभाग की चिंता बढ़ गई है। उसे तीसरे चरण का टेंडर बुलाना पडेग़ा, जिससे जिले के लिए तय राजस्व लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
इस बार भी ग्रामीण क्षेत्र पसंद
24 समूहों में से चार समूहों के लिए पांच टेंडर फॉर्म आए थे। उनमें स चार को टेंडर प्राप्त हो गया। इस बार भी ठेकेदारों की पसंद ग्रामीण इलाका रहा। इन चार समूहों में एक अधारताल है। इसके अंतर्गत तीन दुकानें आती हैं। दूसरे समूह में सिहोरा है जिसमें तीन दुकानें हैं। तीसरे समूह में कुंडम में चार और चौथे समूह बघराजी में तीन दुकानें हैं। दूसरे चरण की टेंडर प्रक्रिया में शहरी क्षेत्र की केवल तीन दुकानें ही फाइनल हो सकी हैं। शेष ग्रामीण क्षेत्र की हैं।