अधोसंरचना विकास पर सरकार का फोकस
भोपाल । प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसलिए मप्र सरकार के दिशा-निर्देश पर वित्त विभाग के अधिकारी अभी से बजट की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार का बजट चुनावी रंग में रंगा रहेगा। मुख्य बजट में सरकार का कर्मचारियों के बकाया डीए सहित अधोसंरचना विकास पर फोकस रहेगा। इसके लिए यदि कोई विभाग नई योजना लाना चाहता है तो उसे औचित्य बताना होगा। विभाग अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं ले सकेंगे बल्कि इसके लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजना होगा और अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा ही लिया जाएगा। वित्त विभाग ने आगामी बजट बनाने के लिए विभिन्न विभागों से तैयारियां प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में वृद्धि संभावित है। जानकारी के अनुसार आगामी वर्ष बजट में इसके लिए 46 प्रतिशत सभी विभाग प्रावधान करेंगे। शिवराज सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपए का मुख्य बजट और प्रथम अनुपूरक 9784 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। 19 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में दस हजार करोड़ रुपए से अधिक का द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जाएगा। अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए बजट तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का आने की संभावना है। ये करीब 3.20 लाख करोड़ का हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बजट में कर्मचारियों के वेतन मद में तीन और मजदूरी के मद में पांच प्रतिशत की वृद्धि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत में संभावित वृद्धि के लिए प्रावधान किया जाएगा।
वित्त विभाग ने विभागों से प्रस्ताव मांगे
वित्त विभाग ने विभागों से प्रस्ताव मांगे हैं। दायरा भी तय कर दिया गया है। सफाई सुरक्षा परिवहन व्यवस्था इत्यादि में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत से ज्यादा बजट नहीं बढ़ेगा। वेतन के बजट में विभाग 3 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव दे सकते हैं। मजदूरी के लिए 5 प्रतिशत तक की वृद्धि के प्रस्ताव की छूट दी गई है। प्रस्ताव ऑनलाइन भेजने होंगे। बजट से ज्यादा राज्य पर कर्ज है। स्थापना व्यय में इजाफा हो रहा है। कुल बजट की 26 प्रतिशत राशि वेतन में खर्च हो जाती है। सरकार खर्च कम करने के प्रयास में है। वित्त विभाग ने विभागों से कहा है कि जिन योजनाओं की निरंतरता की जरूरत नहीं रह गई है उनके लिए बजट का प्रस्ताव न दिया जाए। एक समान योजनाओं का संविलियन कर बजट अनुमान तैयार किया जाए। जिन योजनाओं की जरूरत नहीं है या समाप्त कर दी हैं उनका बजट शून्य कर प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। बजट में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा तथा आर्थिक उन्नति के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए बजट की 30 प्रतिशत राशि महिलाओं तथा बच्चों पर खर्च करने का प्रावधान करने के निर्देश वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को दिए हैं। अगले बजट में सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान की योजनाओं में प्रावधान किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के लिए बजट में पृथक से राशि का प्रावधान किया जाएगा। इन वर्गों के लिए लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं को समेकित किया जाएगा। इस नवीन व्यवस्था में व्यय की जाने वाली राशि की मॉनिटरिंग भी करने का प्रावधान होगा।
नई योजना लाने का बताना होगा औचित्य
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी प्रारंभ कर दी है। यदि विभाग कोई नई योजना लाना चाहते हैं तो उन्हें औचित्य बताना होगा। वे अपने स्तर से कोई निर्णय भी नहीं लेे सकेंगे। उन्हें प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को भेजना होगा और उस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेंगे। वहीं कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में आगामी वर्ष में होने वाली संभावित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सभी विभाग 46 प्रतिशत के हिसाब से प्रविधान रखेंगे। वित्त विभाग ने सभी विभागों को बजट प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन पर चर्चा पांच जनवरी से प्रारंभ होगी। शिवराज सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये और प्रथम अनुपूरक बजट नौ हजार 784 करोड़ रुपये का प्रस्तुत किया था। 19 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जाएगा। अगले साल चुनाव हैं। इसे देखते हुए बजट तीन लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकता है।
राजस्व संग्रहण पर जोर
सरकार ने आय में वृद्धि के लिए राजस्व संग्रहण पर जोर देने के साथ अन्य विकल्प भी अपनाए हैं। अनुपयोगी सरकारी परिसंपत्तियों की नीलामी की जा रही है तो विभागों को अन्य माध्यमों से भी अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए कहा गया है। कर चोरी रोकने के लिए व्यवस्था में सुधार करने के साथ करदाताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य के अंशदान को प्राथमिकता के आधार पर अलग से प्रस्तावित किया जाए। कर्मचारियों के वेतन मद में तीन और मजदूरी के मद में पांच प्रतिशत की वृद्धि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत में संभावित वृद्धि के लिए 46 प्रतिशत के हिसाब से राशि का प्रविधान रखा जाएगा। अभी कर्मचारियों को 34 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि पेंशनर को 28 प्रतिशत महंगाई राहत मिल रही है। इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि दो-तीन दिन में की जा सकती है।
3 प्रतिशत बढ़ेगा कर्मचारियों-अधिकारियों का वेतन
मप्र के सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही उनके वेतन में बढ़ोत्तरी हो सकती है। राज्य सरकार 2023-24 का बजट बना रही है जिसमें वेतन मद मेें वृद्धि का प्रस्ताव है। विभागों से अधिकारियों—कर्मचारियों के वेतन मद मेें 3 प्रतिशत तक की वृद्धि के प्रस्ताव देने को कहा गया है। विभागीय प्रस्तावों पर विचार कर बजट प्रावधान कर राज्य सरकार इसकी मंजूरी दे सकती है। इसके साथ ही मजदूरों के लिए वेतन वृद्धि के प्रस्ताव बुलाए गए हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए 23 और अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए 18 प्रतिशत के अनुसार राशि रखी जाएगी। सरकार एक साल में एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती करने जा रही है। इसके लिए नियम में संशोधन भी कर दिया है। वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा है कि वे वर्ष 2022-23 और 2023-24 में की जाने वाली भर्ती और उनके वेतन-भत्तों पर आने वाले खर्च की जानकारी अलग से दें ताकि स्थापना व्यय का आकलन किया जा सके। पांच जनवरी से विभागों के अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों से वित्त विभाग के अधिकारी बजट प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे।
मिशन 2023 की दिखेगी झलक
राज्य की वित्तीय स्थितियों के जानकार मानते हैं कि आगामी बजट का फायदा मुख्यमंत्री एक अवसर की तरह उठाने की कोशिश करेंगे। इसे ध्यान में रखकर ही बजट की तैयारी भी हो रही है। आत्मनिर्भर मप्र के तहत तय किए लक्ष्यों को वर्ष 2023 तक पूरा करने के लिए विभागवार राशि का प्रबंध किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त आय के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा 15 जनवरी के बाद बजट भाषण में शामिल किए जाने वाले विषयों पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे। वर्ष 2021-22 में सरकार ने कोरोना संकट के दौरान आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हों इसके लिए अधोसंरचना विकास के कामों पर सर्वाधिक ध्यान दिया था। इसकी वजह से केंद्र सरकार से प्रदेश को लगभग पांच हजार करोड़ रुपये अधिक भी मिले हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कारोबारियों को रोजगार फिर से जमाने के लिए बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण दिलाया गया।