लाड़ली लक्ष्मी-2 से बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार
भोपाल । बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये मप्र सरकार लाड़ली लक्ष्मी-02 योजना लाएगी। इसके लिये महिला एवं बाल विकास विभाग तैयारियों में जुट गया है। हालांकि इसका प्रारूप प्रारंभिक अवस्था में है, बावजूद इसके प्रयास यह है कि इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल जाय। जिससे यह न केवल इस बजट में शामिल हो, बल्कि नये शैक्षणिक वर्ष में इसका लाभ बेटियों को मिलने लगे। महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2006 में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य प्रदेश की लड़कियों के स्वास्थ्य और बेहतर भविष्य की नीव रखने समाज में बालिका जन्म के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाना था। समय के साथ इसने देश में राज्य सरकार की सफलता के झंडे गाड़ दिये। इतना ही नहीं यह बाल विवाह को रोकने और लिंग अनुपात सुधार में भी सहयोगी बनी है। ऐसे में योजना के तहत पंजीकृत लाड़लियोंं की उच्च शिक्षा की चिंता करते हुए सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा लाड़ली लक्ष्मी-02 का खाका अहम माना जा रहा है। हालांकि अभी इसे अंतिम रूप नहीं मिल पाया है, बावजूद इसके बताया जाता है कि योजना के तहत न केवल बेटियों को 25 हजार की राशि बतौर छात्रवृत्ति दी जाएगी, बल्कि अभियांत्रिकी समेत प्रबंधन के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाली बेटियों के शैक्षणिक शुल्क अनुदान स्वरूप देने पर विचार चल रहा है। बता दें कि योजना के तहत प्रदेश भर में 41.36 लाख बालिकाएं पंजीकृत है। 225.77 करोड़ रूपये खर्च कर सरकार इनको लाड़ली बना चुकी है। अब राज्य में बिना माता-पिता और आश्रित स्थिति में पाई जाने वाली बेटियों को भी लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत लाभ दिया जाएगा।
...तो अतिरिक्त बजट की होगी आवश्यकता
इस नई योजना के लिये विभाग को अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है। मौजूदा स्थिति में यह मूल बजट का 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा बताया जाता है। मौजूदा समय में विभाग का सालाना बजट 4700 करोड़ रूपये के आसपास है। लाडली लक्ष्मी-02 योजना के साथ विभाग इस बजट में आंगनवाड़ी भवन के मरम्त व संधारण के साथ प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य ब्लाकों में ठिगनापन मुक्ति अभियान जैसे नवाचार का मन बना चुका है। लिहाजा आवश्यकता को देखते हुए बजट प्रस्ताव बढ़ाकर भेजे गये हैं। लिहाजा बजट आंकलन 6700 करोड़ के आंकड़े को छू गया है।
प्रावधान में यह भी हो सकता है शामिल
प्रदेश में बालिकाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, व्यवसायिक प्रशिक्षण, बैंक ऋण पर गारंटी देने जैसे कार्य इस नई योजना में शामिल किये जा सकते हैं। संगीत और चित्रकला जैसे क्षेत्रों में विकास के लिए भी इसमें सहयोग देने पर विचार किया जा रहा है।
इस पर नहीं गया ध्यान
महिला एवं बाल विकास विभाग 15 केंद्र व 10 राज्य पोषित योजनाओं के द्वारा महिलाओं एवं बालकों के संवर्धन का काम कर रहा है। बावूजद इसके बजट अनुमान में अनिवार्य जरूरतों को शामिल कराने से चूक गया है। इसमें बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण से जुड़ी स्पांसरशिप योजना को अहम माना जा रहा है। क्योंकि इसके लिये निश्चित बजट निर्धारित नहीं होने से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की परवरिश का दारोमदार दानदाताओं की इच्छा पर निर्भर हो गया है। कमोबेश यही योजना फास्टर केयर से भी जुड़ी है। इसमें सगे संबंधियों को बच्चों की परवरिस के लिये पैसा दिया जाता हैं, लेकिन बजट नहीं बढ़ता है। जबकि हितग्राहियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इसी तरह केंद्रीय योजनाओं पर मिलने वाली राशि के उपयोग को लेकर भी विभाग का ढ़ुलमुल रवैया रहा है।
महिला सशक्तीकरण पर रहा जोर
सरकार ने वित्तीवर्ष 2021-22 में महिला सशक्तीकरण पर जोर दिया है। इसके चलते जहां मध्याहन भोजन वितरण की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई है। वहीं 1 लाख 73 हजार महिलाओं को सशक्त बनाने इनको 12 हजार स्वसहायता समूहों से भी जोड़ा गया है। इसके अलावा बैंक ऋण के माध्यम से 2 हजार 125 करोड़ रूपये की राशि इस साल जारी की गई है। इसके साथ ही प्रदेश मेंं छह सौ से अधिक आंगनवाड़ी भवनों की मंजूरी दी गई। यही कारण है कि लिंगानुपात 914 से घटाकर 956 पर आ गया है।