इमरान खान पर अब जनरल बाजवा का हाथ नहीं
इस्लामाबाद । पाकिस्तान में चल रहे सियासी घमासान में प्रधानमंत्री इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट ने चारो खानें चित्त कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले को अवैध करार दे दिया। यही नहीं शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के संसद के निचले सदन को भंग करने के फैसले को भी खारिज कर दिया। पाकिस्तान में सेना के इशारे के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया कि इमरान खान पर अब जनरल बाजवा का हाथ नहीं रहा। एक पाकिस्तानी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ताजा घटनाक्रम में सेना ने साफ कर दिया है कि वह तटस्थ रहेगी। इमरान खान और उनकी पार्टी के नेता बार-बार यह दावा कर रहे थे कि पाकिस्तानी सेना का उन्हें समर्थन हासिल है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जनरल बाजवा के नेतृत्व में सेना भविष्य में भी तटस्थ रहेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने एक स्पष्ट रणनीति बनाई है कि लोकतंत्र, संविधान और संसद को मजबूत किया जाए।
सूत्रों ने कहा कि देश की शक्तिशाली सेना खुद को देश के किसी भी राजनीतिक प्रक्रिया से अलग रखेगी और जब भी जरूरत होगी राय तथा सलाह देने के मामले में अपनी भूमिका निभाएगी। दरअसल, इमरान खान जनरल बाजवा की जगह पर अपने पसंदीदा आईएसआई के पूर्व प्रमुख जनरल फैज हामिद को सेना प्रमुख बनाना चाहते थे। इमरान खान ने जनरल फैज के पेशावर ट्रांसफर का विरोध भी किया था। जनरल फैज ने जनरल बाजवा के इशारे पर इमरान खान के लिए सांसदों इंतजाम किया था। इमरान खान को लग रहा कि अगर जनरल फैज सेना प्रमुख बनते हैं तो वह लंबे समय पाकिस्तान पर राज कर सकेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जनरल बाजवा को अपनी कुर्सी जाने का अहसास हुआ तो उन्होंने सख्त रुख अपना लिया और इमरान खान को उनकी बात माननी पड़ी। यही नहीं इमरान खान के रूस की तरफदारी पर सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने खुलकर अमेरिका का साथ दिया है जिससे दोनों के बीच मतभेद साफ हो गए। जनरल बाजवा ने एक कार्यक्रम में पिछले दिनों कहा कि पाकिस्तान विश्व में किसी कैंप की राजनीति नहीं करेगा। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान के अमेरिका के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। आज हमारे पास जो अच्छी सेना है, वह काफी हद तक अमेरिका की बनाई हुई और ट्रेनिंग दी हुई है। हमारे पास सबसे अच्छा हथियार अमेरिका का बना हुआ है।
उधर, इमरान खान ने अपनी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को अमेरिकी साजिश तक करार दे दिया। इमरान खान अब इस अमेरिका का कार्ड को चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि जनता को अमेरिकी साजिश के नाम पर उकसाया जाए और आगामी चुनाव में इसका फायदा उठाया जाए। हालांकि खुद सेना उनके इस आरोप को खारिज कर चुकी है। सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में कहा कि उसे विदेशी साजिश के कोई सबूत नहीं मिले हैं।