वाराणसी । यूपी की भदौही लोकसभा सीट पर छह बार कांग्रेस, तब चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त सर्वाधिक तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं। इस सीट पर ब्राह्मण और बिंद वोटर निर्णायक होते हैं। लेकिन मुस्लिम और पिछड़े भी अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट से सटी भदौही भी धीरे-धीरे हाट सीट हो चुकी है। काशी-प्रयाग के मध्य स्थित सीट पर भी राजनीतिक दिग्गजों की नजर है। 
आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में यहां सबसे अधिक छह बार कांग्रेस,तब चार बार भाजपा ने बाजी मारी है। बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त सर्वाधिक तीन बार, कांग्रेस के जान ए विल्सन, अजीज इमाम और सपा की फूलन देवी दो-दो बार सांसद चुनी गई। भदौही लोकसभा 2009 में हुए परिसीमन के पहले मिर्जापुर-भदौही संसदीय क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी। 
परिसीमन के बाद भदौही की तीन और प्रयागराज की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर भदौही संसदीय क्षेत्र बना। जिसमें भदौही के ज्ञानपुर, औराई और भदौही तथा प्रयागराज के प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा सीट शामिल हैं। 
भदौही लोकसभा कुल वोटरों की संख्या 2009146 है। जिसमें भदौही की तीन विधानसभा से 1208610 और प्रयागराज की दो विधानसभा के 800536 वोटर हैं। जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1129245 और महिला वोटरों की संख्या 879901 है। आजादी के बाद पहले चुनाव में 1952 से 57 तक कांग्रेस के जॉन एन विल्सन पहले सांसद चुने गए। अस्सी के दशक तक कांग्रेस का इस सीट से दबदबा रहा। उसके बाद जनसंघ, लोकदल के प्रत्याशी जीते। 1990 से लेकर 2010 तक चुनाव एवं उप चुनाव में एक बार भाजपा और तीन-तीन बार सपा-बसपा ने बाजी मारी। 
कालीन नगरी के नाम से मशहूर भदौही लोकसभा सीट में कुछ पांच विधानसभाएं हैं। बनारस सीट से सटे होने के कारण भाजपा के लिए यह सीट काफी अहम है। 
भदौही लोकसभा में जातिगत आंकड़ा
ब्राह्मण - 3 लाख 15 हजार
बिंद- 2 लाख 90 हजार
दलित- 2 लाख 60 हजार
यादव- 1 लाख 40 हजार
राजपूत - एक लाख
मौर्या - 95 हजार
पाल- 85 हजार
वैश्य - 1 लाख 40 हजार
पटेल- 75 हजार
मुस्लिम - 2 लाख 50 हजार
अन्य- 1 लाख 50 हजार