मॉस्को । यूक्रेनी अधिकारियों ने दावा किया है कि रूस की जेलों में बंद एचआईवी संक्रमित मरीजों से सौदा किया जा रहा है कि अगर उन्हें प्रभावी इलाज चाहिए तो यूक्रेन से युद्ध लड़ना पड़ेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले साल 24 फरवरी से जारी है। अब एचआईवी संक्रमित मरीज व्लादिमीर पुतिन के नए सिपाही बन रहे हैं। यूक्रेन का दावा है कि रूस की जेलों में बंद कैदियों में लगभग 20 प्रतिशत एचआईवी पॉजिटिव हैं। 
कीव का कहना है कि रूसी सैनिकों में भी एचआईवी संक्रमण का पता चला है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 37 वर्षीय एचआईवी पॉजिटिव रूसी सैनिक तैमूर ने बताया कि उसे 10 साल की सजा सुनाई गई थी। तैमूर मध्य यूक्रेन के नीपर शहर में यूक्रेनियों द्वारा हिरासत में लिया गया था। वह रूसी जेल में एचआईवी को नियंत्रित करने के लिए एंटीवायरल दवा ले रहा था। तैमूर की तरह सभी इसी दवा के भरोसे हैं। पिछले साल इन कैदियों से दिसंबर में एंटीवायरल दवाओं की आपूर्ति के बदले 6 महीने की सैन्य सेवा करने के लिए कहा गया। तैमूल का आरोप है कि कैदियों से युद्ध लड़ने के बदले एचआईवी उपचार चुनने के लिए कहा गया।
यूक्रेनी सेना द्वारा युद्ध बंदी बनाए गए तैमूर ने डिटेंशन सेंटर से दिए गए अपने इंटरव्यू में बताया कि उसके पास कोई सैन्य अनुभव नहीं था और तैनाती से पहले उसे दो सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया था। उसे ड्रग ट्रैफिकिंग के केस में 10 वर्ष की सजा हुई थी।  पिछली गर्मियों में व्यापक पैमाने पर शुरुआत करते हुए, रूस की जेलों में बंद कैदियों को युद्ध में जाने के लिए उनकी सजा को माफ करने का वादा किया गया था। बता दें कि रूस और युक्रेन के बीच जारी युद्ध, सबसे खूनी और सबसे लंबे समय तक चलने वाली लड़ाइयों में से एक बन गया है। यूक्रेन की मानें तो रूस ने उसके शहर बखमुत पर हमले के लिए अपने पूर्व कैदियों की मदद से बड़ी संख्या में सैन्य टुकड़ियां बनाई हैं।