बीजिंग । भारत द्वारा लांच ‎किए गए चंद्रयान-3 मून मिशन के बाद अब चीन भी स्पेस में जाने की तैयारी कर रहा है। ले‎किन चीन का ‎‎मिशन चांद से आगे की सैर कराने वाला है। जानकार बताते हैं ‎कि दुनिया में चल रही स्पेस रेस में चीन एक कदम भी पीछे नहीं रहना चाहता है। हाल ही में भारत ने अपना चंद्रयान-3 मून मिशन लॉन्च किया है। अब चीन 2027 के आसपास नए जमाने के चालक दल वाले अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा और उससे भी आगे ले जाने में सक्षम होगा। जानकारी के अनुसार चीन के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम के डेप्युटी चीफ डिजाइनर यांग लिवेई ने कहा ‎कि भविष्य में, एक नई पीढ़ी के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल हमारे स्पेस स्टेशन के निर्माण और गहरे अंतरिक्ष की खोज में किया जाएगा। यांग ने कहा कि पहली उड़ानें 2027 और 2028 के बीच होने का अनुमान है। चीन ने 2020 में स्पेसक्राफ्ट के बॉयलरप्लेट वेरिएंट का टेस्ट किया था। वापस आए कैप्सूल को प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। नया अंतरिक्ष यान चीन की 2030 तक चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स को भेजने की योजना का हिस्सा है। स्पेसक्राफ्ट आंशिक रूप से दोबारा इस्तेमाल करने योग्य होगा और इसे लॉन्च करने के लिए एक नया रॉकेट विकसित किया जा रहा है जिसे हाल ही में लॉन्ग मार्च 10 नाम दिया गया।
गौरतलब है ‎कि स्पेसक्राफ्ट का डीप-स्पेस वेरिएंट तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लूनर ट्रांसफर ऑर्बिट में ले जाने में सक्षम होगा। वहीं एक लो अर्थ ऑर्बिट वेरिएंट चार से सात अंतरिक्ष यात्रियों को चीन के ‎‎टिएनगॉंग स्पेस स्टेशन तक ले जा सकेगा। चीन वर्तमान में अधिकतम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने के लिए शेनझोउ स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल करता है। यांग 2003 में शेनझोउ-5 मिशन पर सवार होकर ऑर्बिट में जाने वाले देश के पहले अंतरिक्ष यात्री बने थे। शेनझोउ-16 का दल इस समय तियांगोंग स्पेस स्टेशन पर सवार है। तीनों अंतरिक्ष यात्री लगभग छह महीने के लिए 30 मई को स्टेशन पर पहुंचे थे। चीन ने चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की घोषणा ऐसे समय पर की है जब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा आर्टेमिस मिशन के तहत 2025 में एक बार फिर चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की तैयारी में जुटी हुई है।