चीन ने कोरोना लॉकडाउन में क्रूरता की सारी हदें पार कीं
बीजिंग । दुनिया में जब कोरोना लॉकडाउन को लगभग पूरी तरह से हटा लिया है, वहीं चीन में जीरो कोविड नीति के नाम पर इसे क्रूरतापूर्वक लागू किया जा रहा है। चीन के बेहद अहम दक्षिणी शहर गुआंगझाउ में रहने वाले लोग इस क्रूरता के खिलाफ भड़क उठे और विद्रोह कर दिया। चीनी जनता ने खुद को घरों ही 'कैद' करने के लिए बनाए गए बैरियर को तोड़ दिया। यही नहीं वे सड़क पर आ गए और शी जिनपिंग के कोरोना नियमों को खारिज कर दिया। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया में जमकर शेयर किया जा रहा है। इन वीडियो में भारी भीड़ नजर आ रही है जो इस आजादी का जश्न मना रही है। उन्होंने शाम को अंधेरा होने के बाद बैरियर को तोड़ दिया। इस इलाके में पिछले 5 नवंबर से ही बेहद सख्त कोरोना लॉकडाउन लगा हुआ है। शहर के मुख्य इलाके में कोरोना के कई मामले सामने आए हैं। एक वीडियो में तो कोरोना वर्कर हजामत सूट पहनकर बगल में खड़े हैं और बैरियर टूट चुका है। वे स्थानीय लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें सुना जा सकता है कि एक महिला कह रही है, वे विद्रोह कर रहे हैं। यह वीडियो हैझू जिले का बताया जा रहा है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि कितने लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और यह कितनी देर तक चला था। बाद में इस घटना के वीडियो को तेजी से चीन के सोशल मीडिया से हटा दिया गया। कम्युनिस्ट चीन में जनता का विरोध प्रदर्शन बहुत ही दुर्लभ घटना मानी जाती है। इसकी वजह यह है कि चीनी अधिकारी विद्रोह करने वालों या विरोध में आवाज उठाने वालों को कुचल देते हैं। माना जा रहा है कि यह विरोध प्रदर्शन शी जिनपिंग की विवादित जीरो कोविड नीति के खिलाफ भड़क रहे जनता के गुस्से का प्रतीक है।
गुआंझाऊ में मंगलवार को कोरोना के 5100 मामले सामने आए थे। इस बीच चीन की जीरो कोविड नीति के तहत परिसर में बंद विश्वविद्यालय के छात्र समूह खुद में रेंगने और कार्डबोर्ड से पालतू जानवर बनाने जैसे अजीब शौक विकसित कर रहे हैं। टिप्पणीकारों और समाचार रिपोर्टों के अनुसार छात्र समूह की हरकतें देखकर उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानाकरी दी गई। आरएफए ने बताया कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया साइटों पर अपलोड किए गए वीडियो क्लिप में युवाओं के एक समूह को कॉलेज के खेल मैदान पर एक सर्कल में एक-दूसरे के बाद रेंगते हुए देखा गया है। इसने दर्शकों को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित किया कि यह कैंपस में महीनों तक लॉकडाउन चलने की प्रतिक्रिया थी। चीन की कम्युनिकेशंस यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि वे इस गतिविधि को देख रहे हैं। आरएफए के मुताबिक, सोशल मीडिया यूजर्स ने बीजिंग स्थित सिंघुआ यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स सहित अन्य विश्वविद्यालयों में चल रही इसी तरह की गतिविधियों के वीडियो क्लिप शूट किए। सोशल मीडिया पर अपुष्ट खबरें भी प्रसारित हो रही थीं, जिनमें कहा गया था कि ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने परिसर में अकेले रेंगते हुए एक छात्र की तस्वीरें लीं और उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए कुछ सुरक्षा गार्डों को खेल मैदान में भेजा।