कीव । रूस-यूक्रेन जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमिर जेलेंस्की ने सेना भर्ती सेंटर्स के सभी हेड्स को बर्खास्त कर दिया है। इन 33 अफसरों पर पुरुषों से घूस लेकर उन्हें देश छोडऩे में मदद करने के आरोप हैं। पिछले साल फरवरी में जंग की शुरुआत के साथ यूक्रेन में उन पुरुषों के देश छोडऩे पर बैन लगा दिया गया था, जो जंग लडऩे में सक्षम हैं।
इन अफसरों के खिलाफ 112 क्रिमिनल केस भी दर्ज किए गए हैं। जेलेंस्की ने कहा- युद्ध के दौरान भ्रष्टाचार देशद्रोह है। हटाए गए लोगों की जगह उन लोगों को नियुक्त किया जाएगा, जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। भले ही वे अब जंग के लिए फिट नहीं हैं, लेकिन देश के लिए ईमानदार हैं।
पिछले महीने क्रामाटोरस्क जिले में एक भर्ती केंद्र के 3 कर्मचारियों पर सिपाहियों को ड्यूटी के लिए अयोग्य और यूक्रेन छोडऩे के योग्य दिखाने के लिए जाली दस्तावेज बनाने का आरोप लगाया गया था। वहीं कुछ दिन पहले यूक्रेन के अधिकारियों ने एक ऐसी स्कीम का खुलासा किया था, जिसका इस्तेमाल कर वहां के पुरुष जंग में जाने से बच रहे हैं। यूक्रेन में पुरुष अपनी झूठी मेडिकल रिपोट्र्स बनवा रहे हैं। इनमें उन्हें जंग के लिए अनफिट दिखाया गया है। रिपोट्र्स के मुताबिक राजधानी कीव समेत यूक्रेन के 11 इलाकों में ये स्कीम चल रही थी। पुलिस ने कीव, ओडेसा, ल्वीव समेत 100 से ज्यादा जगहों पर छापे मारे हैं जहां नकली मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए जा रहे थे।
इस फर्जीवाड़े में मिलिट्री के लोग भी शामिल थे। भर्ती केंद्रों के अधिकारियों ने सेना में भर्ती होने के लिए मेडिकल जांच करने वाले मिलिट्री कमिशन से सांठ-गांठ की थी, ताकि चुने गए कुछ लोगों को सेना में शामिल होने के लिए जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट में अनफिट दिखाया जा सके। इसके बदले अधिकारियों को प्रति व्यक्ति 6 हजार डॉलर, यानी करीब 5 लाख रुपए मिल रहे थे। इतना ही नहीं, झूठी मेडिकल रिपोट्र्स का इस्तेमाल कर कई लोग देश तक छोड़ कर चले गए थे। यूक्रेन की नेशनल पुलिस और सिक्योरिटी सर्विस मिलकर इस फर्जीवाड़े की जांच कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। पश्चिमी देशों के अधिकारियों के मुताबिक इस जंग में रूस के 1.80 लाख और यूक्रेन के 1 लाख सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं।