31 मार्च के बाद हो सकते हैं भेल थ्रिफ्ट सोसायटी के चुनाव
भोपाल । भेल की सबसे प्रमुख सहकारी संस्था थ्रिफ्ट सोसायटी के चुनाव 11 संचालक मंडल के सदस्य चुनने के लिए 31 मार्च के बाद हो सकते हैं। पहले 4700 सदस्यों वाली सोसायटी के चुनाव नौ जनवरी को होने थे, लेकिन कोरोना के कारण प्रस्तावित तारीख 23 जनवरी रखी गई। कोरोना संक्रमण बढऩे से प्रस्तावित तिथि में चुनाव नहीं हो सके। नियमानुसार सोसायटी का पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के 90 दिनों तक अध्यक्ष पहले भेल प्रबंधन और फिर प्रशासन से चुनाव कराने की अनुमति लेता है। अनुमति मिलने के बाद बनाया गया चुनाव अधिकारी चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराता है। यदि 90 दिनों में चुनाव नहीं होते हैं तो प्रशासक बैठाया जाता है। इसके बाद अध्यक्ष चुनाव कराने की अनुमति नहीं मांग सकता।
बता दें कि थ्रिफ्ट सोसायटी के चुनाव का कार्यकाल 12 जनवरी को पूरा हो चुका है। थ्रिफ्ट सोसायटी के सदस्य भेल के कर्मचारी व अधिकारी ही हैं। इन सभी को 31 मार्च तक भेल का उत्पादन पूरा करना है। ऐसे में भेल प्रबंधन 31 मार्च तक थ्रिफ्ट सोसायटी के चुनाव कराने की अनुमति नहीं देगा। इससे अब सोसायटी के चुनाव 31 मार्च के बाद ही होने की उम्मीद जताई जा रही है। थ्रिफ्ट सोसायटी के अध्यक्ष बसंत कुमार ने बताया कि हमारी पहली प्राथमिकता है कि भेल का उत्पादन लक्ष्य पूरा करना है। इसके बाद ही चुनाव कराने की अनुमति लेना ठीक रहेगा। इससे पहले कोरोना संक्रमण बढऩे से चुनाव कराने की अनुमति नहीं ली थी। इधर असली भेल पारदर्शी, सत्यमेव जयंते, परिवर्तन, आदर्श पैनल के प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए भेल कर्मचारियों से मिलना शुरू करा दिया है। अपने पक्ष में मतदान करने के लिए सोसायटी के सदस्यों से आग्रह कर रहे हैं। असली भेल पारदर्शी पैनल के उम्मीदवार कमलेश नागपुरे, गौतम मौके के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सत्यमेव जयते पैनल की अगुवाई दीपक गुप्ता, अतुल मालवीय कर रहे हैं। परिवर्तन पैनल आल इंडिया भेल एम्प्लोई यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव राम नारायण गिरि व आशीष सोनी के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरा है। आदर्श पैनल में अलग-अलग यूनियनों से जुड़े भेल कर्मचारी है, जो चुनाव लड़ रहे हैं।