वाशिंगटन । अमेरिका ने डेनमार्क और नीदरलैंड से यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमानों की खेप को देने की मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक इन खतरनाक फाइटर जेट विमानों को यूक्रेन भेजने का उद्देश्य रूस की सेनाओं के खिलाफ जंग में यूक्रेन की हवाई सुरक्षा को मजबूत करना है। अमेरिकी अधिकारी के बयान के मुताबिक यूक्रेन के पायलटों की ट्रेनिंग पूरा होने के बाद वहां पर एफ-16 विमानों की तैनाती होगी। यूक्रेन लंबे समय से रूस के हवाई प्रभुत्व का जवाब देने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका निर्मित एफ-16 लड़ाकू विमानों को दिए जाने की गुहार लगा रहा है। 
अमेरिका ने कहा कि वह यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमान मुहैया कराने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा। इसके बारे में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने डेनमार्क और नीदरलैंड के विदेश मंत्रियों को पत्र भी भेजा है। ब्लिंकन ने दोनों को लिखे एक पत्र में कहा कि ‘मैं यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमानों को देने और योग्य एफ-16 प्रशिक्षकों से यूक्रेनी पायलटों के प्रशिक्षण के लिए अमेरिका का पूरा समर्थन जताने के लिए यह खत लिख रहा हूं। ब्लिंकन ने कहा कि ‘यह महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन इस समय अपनी संप्रभुता पर चल रहे रूसी हमले के खिलाफ खुद का बचाव करने में सक्षम हो। 
वहीं एक बड़ा कदम उठाकर रूस ने अपने पांचवीं पीढ़ी के सिंगल-सीट वाले अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एसयू-75 चेकमेट के विकास प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए भारत और चीन को निमंत्रण दिया है। एसयू-75 चेकमेट के डिजाइन में हाल ही में बड़े बदलाव किए गए हैं। जिसमें दो सीटों वाला एक वेरिएंट और एक मानव रहित वेरिएंट का विकास भी शामिल है। एसयू-75 चेकमेट यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (यूएसी) की सहायक कंपनी सुखोई की योजना है। यह उन्नत लड़ाकू विमान नई पीढ़ी के हल्के बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान के लिए रूस का प्रतिनिधि विमान है। 
इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट के मुताबिक एसयू-75 चेकमेट को कम रडार सिग्नेचर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से बनाए जाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस विशेष रूप से मिग-35 और एसयू-57 की अगली पीढ़ी का फाइटर जेट माना जा रहा है। एसयू-75 चेकमेट की एक बड़ी खासियत यह है कि यह सिंगल-इंजन लड़ाकू विमान के है। यह एक संकेत है कि इस निर्यात बाजार के लिए उन देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बनाया जाना है जो कम बजट में सिंगल इंजन वाले स्टील्थ लड़ाकू विमान की तलाश कर रहे थे। एसयू-75 चेकमेट प्रोग्राम में शामिल होने के लिए भारत और चीन को दिया गया निमंत्रण अत्यधिक रणनीतिक महत्व रखता है। दोनों देशों के पास अपने-अपने महत्वाकांक्षी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट प्रोग्राम हैं।