अफ्रीकी राष्ट्रों ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने धन की आवश्यकता पर जोर दिया
जिनेवा । अफ्रीकी महाद्वीप के नेताओं और वार्ताकारों ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा, धूल भरी आंधी, बाढ़, जंगल में आग, तटीय भू-क्षरण, चक्रवात और अन्य मौसमी परिघटनाओं का सामना कर रहे इस महाद्वीप को इसका मुकाबला करने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए उसे धन की आवश्यकता है। मिस्र में हो रहे सीओपी27 सम्मेलन में अफ्रीकी समूह के वार्ताकारों के लिए यह विषय मुख्य प्राथमिकताओं में एक है। समूह के अध्यक्ष इफरैम शितिमा ने कहा कि अफ्रीका महाद्वीप के लिए वार्ताओं के नतीजों को कार्रवाई में तब्दील होते देखने को इच्छुक है, जहां लाखों लोग जलवायु से जुड़ी आपदाओं को सामना कर रहे हैं। सम्मेलन को महाद्वीप के लाखों लोगों को समाधान उपलब्ध कराना चाहिए। अफ्रीका को प्रतिकूल मौसम के प्रति अनुकूलन और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने तथा नवीकरणीय ऊर्जा के लिए धन की जरूरत है।
विश्व बैंक के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु से जुड़ी घटनाएं विश्व भर में 13.2 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेल देंगी। साथ ही अफ्रीकी देशों को 2050 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद का 10 से 15 प्रतिशत गंवाना पड़ जाएगा। अफ्रीका की पृथ्वी पर कार्बन उत्सर्जन में महज चार प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जबकि महाद्वीप में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी है। जलवायु से जुड़ी आपदाओं और स्थिति बदतर होने से रोकने के लिए ढलने के वास्ते जलवायु वित्तपोषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। एक साल में 100 अरब डॉलर के जलवायु वित्तपोषण का वादा पूरा किया जाना बाकी है, जबकि इसकी समय-सीमा को पार हुए दो साल हो गए हैं। सेशल्स के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन ने कहा कि छोटे द्वीपीय देशों के गठबंधन के नेता भी नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए नये सिरे से धन की मांग कर रहे हैं।