नर्मदा| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जब से यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर बयान दिया गया है, तब से यह मुद्दा गुजरात समेत देशभर में चर्चा का विषय बन गया है| हांलाकि यूसीसी लागू होना तो दूर अब तक इसका ड्राफ्ट भी सामने नहीं आया, लेकिन हायतौबा पहले से शुरू हो गई है| एक ओर आम आदमी पार्टी (आप) पहले ही यूसीसी का समर्थन करने का ऐलान कर चुकी है| वहीं दूसरी ओर गुजरात में आप के विधायक चैतर वसावा ने चेतावनी दी है कि अगर पार्टी यूसीसी का समर्थन करती है तो वह इस्तीफा दे देंगे| चैतर वसावा नर्मदा जिले की डेडियापाडा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं और आप के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं| चैतर वसावा की अगुवाई में राजपीपला के सरदार टाउन होल में एक बैठक हुई| जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि और आदिवासी नेताओं ने पार्टी और समाज के बेनर के तहत एकजुट होकर यूसीसी का विरोध किया और कहा कि इसके लागू होने से आरक्षण के साथ ही अन्य लाभ भी बंद हो जाएंगे| जो किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता| आप विधायक चैतर वसावा ने कहा कि यूसीसी से आदिवासी, दलित और ओबीसी समाज को मिले अधिकार खत्म हो जाएंगे| इसलिए इसका विरोध करना जरूरी है| दिखावे की खातिर आदिवासी को राष्ट्रपति तो बना दिया, लेकिन नई संसद भवन के उदघाटन में उन्हें बुलाया नहीं गया और ना ही मंदिर के गर्भ गृह में जाने दिया गया| जिससे साफ है कि मौजूदा सरकार को आदिवासियों से कितना प्यार करती है| आप विधायक ने कहा कि 2024 के चुनाव में हिन्दू कार्ड खेलने के लिए यूसीसी कानून लाने जा रही है, लेकिन वह खुद इसमें फंस गई है| यूसीसी के दायरे में आदिवासी समाज भी आएंगे| मेरे लिए आदिवासी समाज महत्वपूर्ण है| ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी यूसीसी का समर्थन करती है तो वह समाज के कहने पर पार्टी छोड़ दूंगा| हांलाकि आम आदमी पार्टी कभी भी यूसीसी का समर्थन नहीं करेगी| पार्टी ने हमें आदिवासी के अधिकारों के लिए लड़ने से कभी नहीं रोका| उन्होंने कहा कि अगर भाजपा यूसीसी लाने पर अडिग रही तो यह तय है कि कई आदिवासी सीटों से उसे हाथ धोना पड़ेगा|