सऊदी अरब का बड़ा कदम, 700 टन खजूर 102 देशों को भेजने का निर्णय
रमजान का पवित्र महीना मार्च 2025 से शुरू हो रहा है और दुनिया भर के मुसलमान इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं. सऊदी अरब, जिसे इस्लाम का केंद्र माना जाता है, हर साल रमजान के दौरान गरीब देशों को जाकात और गिफ्ट भेजने की परंपरा को जारी रखता है.
इस साल भी सऊदी किंग सलमान ने 102 देशों में 700 टन खजूर बांटने के प्रोग्राम को मंजूरी दी है. यह पिछले साल की तुलना में 200 टन ज्यादा है. इस प्रोग्राम की देखरेख सऊदी इस्लामिक अफेयर मंत्रालय कर रहा है, जो दुनियाभर के इस्लामिक केंद्रों और संगठनों के माध्यम से इस पहल को संचालित करेगा.
इस्लामी मूल्यों का प्रचार और किंगडम की प्रतिबद्धता
सऊदी अरब के इस्लामिक अफेयर मंत्री ने इस पहल के लिए किंग सलमान का आभार व्यक्त किया, खासकर रमजान के दौरान दुनियाभर के मुसलमानों को निरंतर समर्थन देने के लिए. उन्होंने इस्लाम के मूल्यों को बढ़ावा देने और नफरत, उग्रवाद, और कट्टरता का मुकाबला करने के किंगडम की प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
मंत्रालय ने खजूर की शिपमेंट के लिए सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है. यह खजूर सऊदी दूतावासों, इस्लामी केंद्रों, और संगठनों के जरिए भेजे जाएंगे, जिनके साथ धार्मिक संदेश भी साझा किए जाएंगे.
रमजान में खजूर का महत्व
रमजान में खजूर का खास महत्व है. यह न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका महत्व बहुत ज्यादा है. रमजान के रोजे के दौरान, मुसलमान खजूर से इफ्तार (रोजा खोलना) करते हैं, और इसे सुन्नत माना जाता है.
दुनिया के प्रमुख खजूर उत्पादक देश
खाड़ी देशों में खजूर का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. मिस्र दुनिया का सबसे बड़ा खजूर उत्पादक देश है, उसके बाद सऊदी अरब, अल्जीरिया, ईरान, और संयुक्त अरब अमीरात का स्थान आता है. सऊदी अरब के मदीना क्षेत्र में उगाई जाने वाली अजवा खजूर को सबसे बेहतरीन माना जाता है. भारतीय बाजार में इसकी कीमत करीब 2,000 रुपये प्रति किलो तक होती है, जो इसे बेहद खास बनाती है.
रमजान के अवसर पर दुनियाभर में खजूर बांटने की परंपरा
सऊदी अरब की ओर से हर साल रमजान के अवसर पर दुनियाभर में खजूर बांटने की यह परंपरा इस्लामी मूल्यों के प्रचार और गरीब देशों की मदद के लिए किंगडम की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इस साल 102 देशों में 700 टन खजूर भेजने का यह प्रयास सऊदी अरब की उदारता और इस्लामी समाज के प्रति उसकी सेवा की भावना को रेखांकित करता है.