मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने शनिवार को कहा कि पीएम को अपने संवैधानिक कद को ध्यान में रखकर बयान देना चाहिए। शरद ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस तंज के बाद मीडिया से कही, जिसमें उन्हें शरद के बतौर कृषि मंत्री, किसानों के लिए किए गए कामों को लेकर सवाल उठाए थे।
दरअसल पिछले दिनों शिर्डी गए पीएम मोदी ने कहा था कि महाराष्ट्र के नेता जो देश के कृषि मंत्री भी थे, उन्होंने किसानों के लिए क्या किया? वे किसानों की वकालत के बहाने राजनीतिक चालबाजी में लगे थे। जब वे कृषि मंत्री थे, तब किसान बिचौलियों की दया पर निर्भर थे।
शरद पवार ने यह भी दावा किया कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता खोने के डर ने पीएम को ऐसा कमेंट करने के लिए प्रेरित किया होगा। गौरतलब है कि साल 2004 से लेकर 2014 तक, जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। तब  एनसीसी प्रमुख शरद पवार कृषि मंत्री थे।
पवार ने कहा की मुझे नहीं पता कि उन्होंने मुझे क्यों निशाना बनाया। लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने जो भी कहा, वो इसलिए क्योंकि उन्हें सही तरीके से जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने जो भी बयान दिया है, मैं उनके पद के महत्व और गरिमा को ध्यान में रखते हुए उस पर जवाब दूंगा। वे साईं बाबा के दर्शन करने गए थे, वहां शरद पवार के दर्शन करने की क्या जरूरत थी। देश में कई राज्य हैं जहां भाजपा की सत्ता नहीं। कुछ में वे तोडफ़ोड़ के बाद सत्ता में आए। और जहां हैं भी, तो कमजोर स्थिति में हैं। सत्ता खोने के डर ने ही उन्हें ऐसे बयान देने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य न केवल तेजी से बढ़ा, बल्कि उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मिशन भी लॉन्च किए, जिसके कारण फसल उत्पादन में वृद्धि हुई। जब मैंने कृषि मंत्री बना, तब देश में खाद्यान्न की कमी थी। 2004 में चावल का एमएसपी 550 रुपए था, जो 2014 में 1310 रुपए हो गया। सोयाबीन जैसी फसलों के एमएसपी में भी 198 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।