मंदसौर ।    खानपुरा में स्थित रावण की प्रतिमा देखरेख के अभाव में फिर क्षतिग्रस्त हो गई है। सीमेंट से बनी रावण की यह प्रतिमा जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रही है। नगरपालिका द्वारा प्रतिमा की मरम्मत अब तक शुरू नहीं है, नपा ने सीधे ही प्रतिमा पर रंग-रोगन का काम शुरू कर दिया है। दशहरा पर्व पर प्रतिमा की मरम्मत नहीं की गई तो फिर नगरपालिका पूरे साल प्रतिमा को देखती ही नहीं है। प्रतिमा के पैर से लेकर पूरे हिस्से में दरारे हो रही है, कई जगह से सीमेंट उखड़ गई है।

खानपुरा में रावण की 10 सिर वाली प्रतिमा

खानपुरा में रावण की 10 सिर वाली प्रतिमा स्थापित है, लेकिन देखरेख नहीं होने के कारण प्रतिमा की चमक धीरे-धीरे फीकी हो रही है। 24 अक्टूबर को दशहरा पर्व है। अब सात ही बचे है। लेकिन अब तक नगरपालिका द्वारा प्रतिमा की मरम्मत का कार्य प्रारंभ नहीं किया है। रावण की प्रतिमा हाथ एवं पैरों के समीप से क्षतिग्रस्त हो रही है। कई जगह दरार है। लेकिन नगरपालिका ने मरम्मत नहीं करवाई है। आसपास क्षेत्र की साफ-सफाई भी अब तक नहीं हुई है। इसके साथ ही नामदेव समाज द्वारा प्रतिमा के आसपास चबूतरा बनाने की मांग की जा रही है, नपा के अधिकारी हर साल आश्वासन देते है लेकिन चबूतरे का निर्माण अब तक नहीं किया गया है।

बिजली गिरने से टूट गई थी प्रतिमा

नामदेव समाज के स्वामित्व वाली रावण प्रतिमा का इतिहास काफी पुराना है। लगभग 80 वर्ष पहले से खानपुरा में रावण की सीमेंट निर्मित विशाल प्रतिमा थी। इस पर एक बार बिजली गिरने से टूट गई थी। केवल उसके विशालकाय पैर बचे थे। इसके बाद तत्कालीन नपाध्यक्ष यशपालसिंह सिसोदिया के कार्यकाल में ढाई लाख रुपये की लागत से इस प्रतिमा का पुनर्निर्माण कराया गया था। बाहर के ठेकेदार ने रावण की प्रतिमा को पुराना स्वरूप देते हुए वर्ष 2005 में प्रतिमा को तैयार किया था।

बार-बार होती रही खराब

पुनर्निर्माण के बाद से ही प्रतिमा की स्थिति काफी खराब होने लगी थी। कई जगह दरारें भी पड़ गई थी। नामदेव समाज के लोगों ने इसके संरक्षण को लेकर चिंता भी जताई थी। 2007 में तत्कालीन नपाध्यक्ष स्व. प्रहलाद बंधवार ने भी रावण की प्रतिमा की ओर ध्यान देकर सभी सिरों को नया लगवाया था।

दशहरे पर होती है पूजा

खानपुरा स्थित रावण की प्रतिमा नामदेव समाज के लोगों के लिए पूजनीय है। दशहरे पर सभी दूर रावण को जलाया जाता है। खानपुरा की इस प्रतिमा की सुबह पूजा की जाती है और शाम को गोधुलि‍ बेला में प्रतीकात्मक वध किया जाता है। दशहरा पर्व पर दिनभर लोग रावण प्रतिमा स्थल पर पहुंचते है, लोग रावण प्रतिमा के पैर पर लच्छा भी बांधते है।

इनका कहना है

24 अक्टूबर को दशहरा पर्व परंपरा अनुसार मनाया जाएगा। रावण की प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो रही है। प्रतिमा के सुधार एवं रंग-रोगन के लिये नपा में आवेदन देकर मांग की थी। मंगलवार से प्रतिमा की पुताई प्रारंभ हो गई है, मरम्मत की भी हमने मांग की है। इसके साथ ही हमारे द्वारा प्रतिमा के आसपास के चबूतरा बनाने की मांग भी हर साल की जा रही है, लेकिन नपा द्वारा अब तक चबूतरा नहीं बनाया गया है।

अशोक बघेरवाल, अध्यक्ष, नामदेव समाज ट्रस्ट

रावण प्रतिमा की मरम्मत एवं रंगाई-पुताई का कार्य करवाया जा रहा है। आसपास क्षेत्र में साफ-सफाई भी की जा रही है।

सुधीरकुमारसिंह, नपा सीएमओ