श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज ‎सिन्हा ने कहा है ‎कि धारा 370 हटने का सबसे बड़ा फायदा आम कश्मीरी को हुआ है, अब वह ज्यादा सुर‎क्षित वातावरण में रहने लगा है। गौरतलब है ‎कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के 4 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि सड़कों पर हिंसा कम हो गई है, आतंकी संगठनों के बंद के फरमान का अब असर नहीं हैं, स्कूल और कॉलेज साल भर चलते हैं और परियोजनाएं समय पर पूरी होती हैं। एलजी सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा कि ‘सबसे बड़ी बात यह है कि एक आम कश्मीरी किसी के हुक्म से बंधा नहीं है। एक समय था जब लोग सूरज ढलने से पहले घर पहुंचने का टारगेट रखते थे। अब लोग श्रीनगर शहर में देर रात तक बाहर रहते हैं।’  लगभग तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर के एलजी पद की शपथ लेने वाले सिन्हा के मुताबिक घाटी की अशांति का आम लोगों और गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। 
उन्होंने 2019 और अब के बीच सुरक्षा हालात पर एक नजर डालते हुए कहा कि ‘यहां 1.8 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं तो रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कोई भी प्रोजेक्ट या काम जो शुरू होगा और एक या दो साल में पूरा हो जाना चाहिए, उसमें पांच साल लगेंगे और इसके लिए कोई जवाबदेही नहीं होगी। आम आदमी सबसे ज्यादा मुश्किल स्थिति में था और अब उसे इससे छुटकारा मिल गया है।’ उपराज्यपालने कहा ‎कि मुझे लगता है कि यह सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ‘केंद्र शासित प्रदेश ने बुनियादी ढांचे के विकास व सामाजिक क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति की है। बुनियादी ढांचे के साथ, 1.50 लाख करोड़ रुपये की राजमार्ग और सुरंग परियोजनाएं चल रही हैं। पीएमजीएसवाई के तहत ग्रामीण सड़कों के मामले में हम देश में तीसरे नंबर पर हैं। हम हर दिन 20 किलोमीटर सड़क बिछा रहे हैं।’ 
उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन पांच नई बिजली परियोजनाओं के साथ जम्मू-कश्मीर अपनी 3,450 मेगावॉट की मौजूदा बिजली उत्पादन क्षमता में 3,200 मेगावॉट और जोड़ देगा। यूटी में निजी क्षेत्र के निवेश के बारे में मनोज सिन्हा ने कहा कि ‘2021 की नई औद्योगिक योजना से पहले जम्मू-कश्मीर में लगभग 13,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। हमें नई योजना के तहत 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव हासिल हुए। मैं आपको बहुत जिम्मेदारी से बताता हूं कि जमीन पर 27 हजार करोड़ रुपये के काम चल रहे हैं। कुछ अभी में उत्पादन हो रहा है, कुछ में कुछ महीने लगेंगे और कुछ में एक और साल लगेगा। सबसे बड़ी चुनौती जमीन ढूंढने की थी। हमने अब इसे जम्मू और कश्मीर दोनों में सुलझाया है।