पहले ढाई साल मुझे दें, फिर सिद्धारमैया को, आलाकमान को शिवकुमार की दो टूक
नई दिल्ली । कर्नाटक का सियासी नाटक अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी आलाकमान अभी सीएम पद को लेकर फैसला नहीं ले सका है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही दिग्गज नेता मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोंक रहे हैं। इस बीच कांग्रेस आलाकमान के लिए किसी एक को चुनना बहुत मुश्किल फैसला हो रहा है। सूत्रों का कहना हैं कि शिवकुमार भी मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए हैं।
इस बीच पार्टी में ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर भी चर्चा हुई। इस पर शिवकुमार ने शर्त जाहिर कर दी है। डीके का कहना है कि अगर यह एक साझा समझौता है, तब भी पहले ढाई साल का कार्यकाल मुझे दिया जाए जबकि दूसरा सिद्धारमैया को मिलाना चाहिए। शिवकुमार का कहना है कि मुझे पहला कार्यकाल दिया जाए या फिर मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं उस स्थिति में भी चुप रहूंगा।
इस बीच सूत्रों से खबर सामने आई है कि आलाकमान का कहना है कि सिद्धारमैया या डीके अकेले शपथ नहीं लेंगे, यह एक सामूहिक नेतृत्व है। साथ ही शपथ लेने के लिए 8-10 मंत्रियों की जरूरत है। कांग्रेस आलाकमान अब कर्नाटक में वन मैन शो नहीं चाहता है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच अब इन सब मुद्दों पर बातचीत चल रही है। इसके अलावा कर्नाटक में जीत के बाद दिल्ली आए कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने राहुल गांधी से मुलाकात की है।
तमाम रस्साकशी के बीच कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस समय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे विचार-विमर्श कर रहे हैं। जब भी कांग्रेस कोई फैसला करेगी तक सूचित किया जाएगा। अगले 48-72 घंटों में, हमारे पास कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा।
गौरतलब है कि इस रस्साकशी के बीच डीके ने अपने समर्थकों और अपने गुट के विधायकों के साथ दिल्ली में अपने भाई और सांसद डीके सुरेश के आवास पर मुलाकात की है। पार्टी आलाकमान की ओर से कहा जा रहा है कि डीके सीएम बनने के फैसले पर अड़े हुए हैं। इसके बाद शिवकुमार ने अपने समर्थकों से मुलाकात की है, इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं।
इसके पहले डीके और सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अलग-अलग मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व को सिद्धारमैया की कमियां गिनाई थीं। सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि सिद्धारमैया का पिछला कार्यकाल अच्छा नहीं रहा था। लिंगायत समुदाय भी उनके खिलाफ है। उन्होंने कहा था, अगर सिद्धारमैया को पहले सीएम बनाया जा चुका है, तब अब किसी और को मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए।